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अनुशंसा
लगभग 1000 पृष्ठों में निबद्ध यह विशालकाय प्रबन्ध शोधार्थिनी के विशेष परिश्रम का फल है। साध्वी जीवन की मर्यादा में रहते हुए लेखिका ने अद्भुत धैर्य का परिचय दिया है। उन्होंने जैनधर्म की प्रायः सभी शाखाओं- प्रशाखाओं में दीक्षित श्रमणियों का यथाशक्य परिचय दिया है। जिन श्रमणियों का विशेष परिचय प्राप्त नहीं हो सका है, उनके भी नाम, माता-पिता के नाम, दीक्षा-गुरु के नाम एवं
दीक्षा वर्ष देकर यथासम्भव परिचित कराने का सार्थक
प्रयास किया है। साध्वी जी को हार्दिक साधुवाद!
विजय कुमार शर्मा (निजी सहायक, उपकुलपति) जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) लाडनूं (राजस्थान) 9 अक्टूबर 2006
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