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________________ क्रम सं दीक्षा क्रम | साध्वी-नाम |जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र | दीक्षा संवत् तिथि | दीक्षा स्थान | विशेष-विवरण Jain Education International 502. 616 | I श्री संयमप्रभाजी | 2023 सरदारशहर| पन्नालालजी सुराणा| 2050 मा. शु.3 617 श्री विनयप्रभाजी| 2023 गंगाशहर | खेमचंदजी बैद | 2050 मा. शु. 3 | सुजानगढ़ | पूर्व में समणी दीक्षा संवत् 2048,यथोचित ज्ञानार्जन, तप 1 से 15 तक लड़ीबद्ध उपवास, बेले से कुल तप संख्या 420 | सुजानगढ़ | पूर्व में समणी दीक्षा संवत् 2048, यथोचित ज्ञानार्जन | नई दिल्ली | पूर्वमेंसमणी दीक्षासंवत्2047,यथोचित ज्ञानार्जन, तप1 से 9 तक लड़ी की, सैकड़ों उपवास श्री धवलप्रभाजी| 2023 बायतू | कानमलजी बालड़ | 2051 का. कृ.7 For Private & Personal Use Only 984 नोट: 1. दीक्षा क्रम संख्या - 6,7, 20, 22, 24, 30, 33,41,56,81,91,92, 139, 154, 158, 160, 170, 189, 199, 209,213,215,218,230, 233,257,278,281, 283, 330,348,366,478 और 564 के स्वर्गवास का संकेत तेरापंथ परिचायिका से प्राप्त होता है। ये श्रमणियां संवत् 2042 से 60 के मध्य कब दिवंगत हुईं, इसकी निश्चित तिथि व स्थान ज्ञात नहीं हुआ। 2. संवत् 2051 के बाद की आचार्य महाप्रज्ञ जी से दीक्षित होने वाली साध्वियों का परिचय पृ. 885 से 888 पर तालिका में देखें। जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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