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क्रम सं दीक्षा क्रम | साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र दीक्षा संवत् तिथि दीक्षा स्थान | विशेष-विवरण 199 श्री मानकंवरजी| 1979 बीदासर | कालूरामजी बुच्चा | 2003 का. कृ.1 | | राजगढ़ | यथाशक्य ज्ञान ध्यान, सेवा, तप1 से 11|
तक लड़ी, कुल संख्या 1777 श्री रतनांजी 1981 चूरू हुलासामलजी कोठारी | 2003 का. कृ.1 | राजगढ़ यथाशक्य ज्ञान-ध्यान, तप संख्या 1486,
संवत् 2057 बीदासर मंसंथारा सह स्वर्गवास 10श्री सोनांजी | 1982 डूंगरगढ़ | विरधीचंदजी बाफणा| 2003 का. कृ. 1 राजगढ़ बोल, स्तोक कंठस्थ, 1 से 15 तक का
लड़ीबद्ध तप, कुल तप संख्या 951 श्री गणेशांजी | 1987 बोरावड़ हस्तीमलजी गेलड़ा| 2003 का. कृ.1 | राजगढ़ तीन वर्ष की वय में उपवास का कीर्तिमान
संस्कृत, व्याकरण, आगम ज्ञान, कविता मुक्तक की रचना,कलादक्ष,लगभग
131 उपवास,1300 एकाशन,83 आयंबिल |204 श्री कंचनकंवरजी | 1988 उदयपुर | जोधसिंहजी सिंघवी 2003 का. कृ.1 | राजगढ़
छह आगम कंठस्थ,संवत् 2015 से अग्रणी | 206 0 श्री दीपांजी | 1981 डूंगरगढ़ | ईश्वरचंदजी पुगलिया | 2003 मा. शु. 5 | चूरू पांच हजार गाथाएं कंठस्थ, तप संख्या 1279,
अनशन तप 46 दिन संवत् 1990 थामला में
दिवात 174. 207 |"श्री चांदाजी | 1982 डूंगरगढ़ | मोतीलालजी मालू | 2003 मा. शु. 5
तप संख्या 1032 संवत् 2057 तक 1208 श्री मनोरांजी | 1986 लावा | कनकमलजी | 2003 मा. शु. 5
यथाशक्य ज्ञान, तप सैकड़ों उपवास, बेले,
तेले, चार व आठ का तप भी किया। 176. 209 श्री मानकंवरजी | 1987 टमकोर दीपचंदजी कोठारी | 2003 मा. शु. 5
कतिपय स्तोक आदि ज्ञान, तप संख्या
1106,आयंबिल 165 177. 1210 | श्री सूरजकंवरजी| 1988 शार्दूलपुर | गणपतराय सीधी | 2003 मा. शु. 5
स्तोक ज्ञान, तप संख्या 528,दो विगय व
15 द्रव्य के अतिरिक्त का त्याग 178. 211 श्री वरजू जी |1989 लावा कनकमलजी चींपड़ 2003 मा. शु. 5 चूरू कंठस्थ ज्ञान अच्छा है। सैकड़ों उपवास,
अठाई,21 कातप, कुल संख्या बेलेके आगे
की 150 179. 1213 श्री फूलकंवरजी 1984 सुजानगढ़ प्रेमचंदजी सिंधी 2004 का. कृ.7 | रतनगढ़ स्तोक 13,वाचन 30 आगम,8आगोंकीसूची
तैयारकी,तपसंख्या 304,संवत् 2027 सेअग्रणी
175.
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
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