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षोडश संस्कार
आचार दिनकर - 66 पूर्व में कहे गये मंत्र से आह्वान, स्थापना एवं संनिधान करके अर्घ्य, खाद्य एवं पेय का दान करें। दूसरे लोग ॐ कार आदि मंत्रो से दो गन्ध तिलक, दो पुष्प, दो धूप, दो दीप, एक उपवीत, दो नैवेद्य, दो तांबल चढ़ाएं। फिर द्वितीय स्थान में निम्न मंत्र से पूजा करें:
___"ऊँ नमो द्वितीय कुलकराय, श्यामवर्णायश्यामवर्णचन्द्रकान्ताप्रियतमासहिताय, हाकारमात्रख्यापितन्यायपथाय, चक्षुष्मदभिधानाय, शेष पूर्ववत्"
फिर तृतीय स्थान में निम्न मंत्र से पूजा करे -
"ऊँ नमस्तृतीयकुलकराय, श्यामवर्णाय, श्यामवर्णसुरूपाप्रियतमासहिताय, माकारमात्रख्यापितन्यायपथाय, यशस्व्यभिधानाय, शेष पूर्ववत् ।"
चतुर्थ स्थान में निम्न मंत्र से पूजा करे -
"ऊँ नमश्चतुर्थकुलकराय, श्वेतवर्णाय, श्यामवर्णप्रतिरूपाप्रियतमासहिताय, माकारमात्रख्यापितन्यायपथाय, अभिचन्द्राभिधानाय, शेष पूर्ववत्।"
पंचम स्थान में निम्न मंत्र से पूजा करे -
"ॐ नमः पंचमकुलकराय, श्यामवर्णाय, श्यामवर्णचक्षुःकान्ताप्रियतमासहिताय, धिक्कारमात्रख्यापितन्यायपथाय, प्रसेनजिदभिधानाय, शेष पूर्ववत् ।"
षष्ठ स्थान में निम्न मंत्र से पूजा करे -
"ॐ नमः षष्ठ कुलकराय, स्वर्णवर्णाय, श्यामवर्णश्रीकान्ताप्रियतमासहिताय, धिक्कारमात्रख्यापितन्यायपथाय, मरूदेवाभिधानाय, शेष पूर्ववत्।"
सप्तम स्थान में निम्न मंत्र से पूजा करें -
"ऊँ नमः सप्तमकुलकराय कांचनवर्णाय, श्यामवर्णमरूदेवाप्रियतमासहिताय धिक्कारमात्रख्यापितन्यायपथाय नाभ्यभिधानाय, शेष पूर्ववत्।"
यह कुलकर स्थापना की पूजा विधि है। यह कुलकर की स्थापना तथा अन्य धर्म में गणेश एवं कामदेव की स्थापना विवाह के बाद भी सात अहोरात्रि तक रक्षा करने के योग्य है। तत्पश्चात वर के घर में शान्तिक और पौष्टिक-कर्म करें। कन्या के घर में पहले की तरह ही (पूर्ववत्) माता की पूजा करें । उसके बाद विवाह से पहले सातवें, नवें, ग्यारहवें या तेरहवें दिन वधू और वर अपने-अपने घर में मंगल गीत एवं वांजित्र के वादनपूर्वक तेल का मर्दन कर स्नान करें। विवाह पर्यन्त (होने तक) नित्य वधू और वर इसी रीति से स्नान करें। प्रथम तेल-मर्दन के दिन वर के घर से तेल, सिर की प्रसाधन सामग्री, सुगन्धित वस्तु, द्राक्षा आदि खाद्य-पदार्थ, सूखे फल (मेवे) कन्या के घर भेजें। नगर के सब लोग एवं
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