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________________ जिनके परम पुनीत चरणों में शत शत वन्दन खरतरगच्छाधिपति, शासनप्रभावक, आचार्य भगवन्त पूज्य श्री जिनमहोदयसागरसूरीश्वरजी म.सा. शासनप्रभावक गणाधीश उपाध्याय भगवन्त पूज्य श्री कैलाशसागरजी म.सा. प्रेरणास्रोत जिनशासनप्रभावक, ऋजुमना परमपूज्य श्री पीयूषसागरजी म.सा. परोक्ष आशीर्वाद जैनकोकिला, समतामूर्ति, स्व. प्रवर्तिनी, परमपूज्या गुरुवर्या श्री विचक्षणश्रीजी म.सा- एवं उनकी सुशिष्या आगमरश्मि स्व. प.पू. प्रवर्तिनी श्री तिलकश्रीजी म.सा प्रत्यक्ष कृपा सेवाभावी, स्पष्टवक्ता, परमपूज्या गुरुवर्या श्री हर्षयशाश्रीजी म.सा पूज्या साध्वीवृन्द के चरणों में नमन, नमन और नमन शान्त-स्वभावी महत्तराश्री विनीताश्रीजी म.सा. सरल-मना पूज्याश्री चन्द्रकलाश्रीजी म.सा. प्रज्ञा-भारती प्रवर्तिनीश्री चन्द्रप्रभाश्रीजी म.सा. शासन-ज्योति पूज्याश्री मनोहरश्रीजी म.सा. प्रसन्न-वदना पूज्याश्री सुरंजनाश्रीजी म.सा. महाराष्ट्र-ज्योति पूज्याश्री मंजुलाश्रीजी म.सा. मरुधर-ज्योति पूज्याश्री मणिप्रभाश्रीजी म.सा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001690
Book TitleJain Gruhastha ki Shodashsanskar Vidhi
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2005
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Culture, & Vidhi
File Size12 MB
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