SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 170
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खासा सम्बल देती है। आप शास्त्रों के अच्छे खासे ज्ञाता थे । चिकित्सा के भी आप अच्छे जानकर थे, खासतौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा का आपको अच्छा खासा ज्ञान था। स्पष्टवादिता आपकी विशेषता थी । सुसंस्कारों के प्रतीक, धर्म और ज्ञान के प्रतीक, सादगी और सरलता के प्रतीक, सामाजिक एकता और समरसता के प्रतीक सबको प्यार, सबसे प्रेम करने वाले श्री गुलाबचन्द जी झाड़चूर का स्वर्गवास भी प्रेम दिवस यानी वेलेंटाइन-डे पर हुआ। आपका निधन सम्पूर्ण जैन समाज का ही नहीं, बल्कि मानव जाति की अपूरणीय क्षति है । आपके परिवारजन ने संकट और दुःख की घड़ी में भी अपना आत्मबल और आपा नहीं खोया और दु:खद स्थिति होने के बावजूद आपके परिजनों ने आपके नेत्रदान किए, जिससे आपकी आँखों की रोशनी से दो अन्धेरी ज़िन्दगियों में रोशनी कर गयीं । T आप अपने नाम के ही अनुरूप सामाजिक एकता और प्रेम की खुशबू से समाज को महकाते रहे। आप चले गये, लेकिन संस्कारों का बीजारोपण कर गए, जो आपके परिवार में निरन्तर वृद्धि की ओर अग्रसर रहेगा। आपके बताये मार्ग पर चलकर आपके सिद्धान्तों पर खरा उतरने का प्रयास करना ही आपको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001690
Book TitleJain Gruhastha ki Shodashsanskar Vidhi
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2005
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Culture, & Vidhi
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy