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षोडश संस्कार
"जन्मन्यनन्तसुखदे
शिलायाम् ।
स्नात्रं
सुगन्धैः । । 1 । ।
सुत्रामभिः
विविधाबुधिकूपवापीकासारपल्वलसरित्सलिलैः
तां बुद्धिमाधाय हृदीह काले स्नात्रं जिनेन्द्रप्रतिमागणस्य । कुर्वन्ति लोकाः शुभभावभाजो "महाजनो येन गतः स पन्थाः”।।2।।” यह छंद बोलकर पुष्पांजलि दे । पुनः निम्न छंद बोले :"परिमलगुणसारसद्गुणाढ्या बहुसंसक्त परिस्फुरद्विरेफा । बहुविधबहुवर्णपुष्पमाला वपुषि जिनस्य भवत्वमोघयोगा ।।1।। " इस छंद के द्वारा सिर से पैर तक प्रतिमा पर पुष्पारोपण करे । “कर्पूरसिल्हाधि.” इस छंद के द्वारा धूप उत्क्षेपन करे एवं शक्रस्तव
भुवनेश्वरस्य
व्यधायि
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आचार दिनकर 120
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कनकशैलशिरः
का पाठ करे।
पुनः हाथ में पुष्पांजलि लेकर शार्दूल उपजाति (छंद में) निम्न श्लोक पढ़े :
स्वर्गाधिपैर्गुफितो मंत्रित्वं
"यः साम्राज्यपदोन्मुखे भगवति बलनाथतामधिकृतिं स्वर्णस्य कोशस्य च ।
बिभ्रद्भिः कुसुमांजलिर्विनिहितो भक्त्या प्रभोः पादयोर्दुःखौघस्य जलांजलिः स तनुतादालोकनादेव हि । । । ।
चेतः
गणनाद्व्यतीतं ।
समाधातुमनिन्द्रियार्थं पुण्यं विधातुं निक्षिप्यतेऽर्हत्प्रतिमापादाग्रे पुष्पांजलिः प्रोद्गतभक्ति भावैः ।।2।।”
यह छंद बोलकर पुष्पांजलि दे। सभी पुष्पांजलियों के अन्त में शक्रस्तव का पाठ करके धूप उत्क्षेपन करे। फिर उसके बाद पुष्प आदि से प्रतिमा की पूजा करे। फिर स्नात्र - कलश एकत्रित करे । पश्चात् मणि, सोना, चांदी, ताम्र, मिश्रधातु एवं मिट्टी से निर्मित कलशों को स्नात्र की चौकी पर स्थापित करे और उनमें गंधोदक मिश्रित सर्वजलाशयों का जल संचित करे। उन्हें चन्दन, कुंकुम, कपूर आदि सुगंधित द्रव्यों से वासित करे । चन्दन आदि एवं फूल तथा माला के द्वारा कलशों की पूजा करे । जल, पुष्प आदि अभिमंत्रित करे । जलपुष्पादि अभिमंत्रित करने का मंत्र पूर्व में कहे गए अनुसार ही हैं। तदनंतर वह श्रावक या दूसरे अनेक श्रावक पूर्वोक्त वेष एवं शुद्धि से युक्त होकर, हाथ में गन्ध - द्रव्य लेकर, कण्ठ में माला धारण किए हुए उन कलशों को हाथ में उठाए तथा अपनी-अपनी
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