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षोडश संस्कार
आचार दिनकर
प्रथम परमेष्ठी - मंत्र महाश्रुतस्कन्ध के पाँच अध्ययन एवं एक चूलिका हैं और दो-दो पद के पाँच आलापक हैं। अरिहंत, आचार्य और उपाध्याय को नमस्काररूप सात अक्षर वाले तीन पद हैं, द्वितीय पद में सिद्धों और पंचम पद में साधुओं को नमस्कार करने रूप पांच एवं नौ अक्षर हैं । फिर पाँच पदों के बाद चूलिका है।
चूलिका के प्रथम आलापक में दो पद और सोलह अक्षर हैं, द्वितीय आलापक में, तृतीय पद के आठ अक्षर हैं, तृतीय आलापक में चतुर्थपद के नौ अक्षर हैं। पाँच पदों के दो उद्देशक एवं चूलिका में तीन उद्देशक हैं । इन पाँच पदों के पैंतीस अक्षर एवं चूलिका के तैंतीस अक्षर हैं एवं कुल पाँच अध्ययन हैं। जैसे - " नमो अरिहंताणं नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोएसव्वसाहूणं ।" एक चूलिका जैसे "एसो पंच नमुक्करोंसव्वपावप्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलं ।" पाँच आलापक (अध्ययन) इस प्रकार हैं - " नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं ।” प्रथम अलापक, "नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं" - द्वितीय आलापक, " नमो लोए सव्वसाहूणं" - तृतीय आलापक, "एसो पंच मुक्का सव्वपावप्पणासणो"- चतुर्थ आलापक और “मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं " यह पंचम आलापक है। निम्न तीन पदों में अक्षरों का परिमाण समान है, जैसे नमो अरिहंताणं 7, नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाणं 7, यह एक उद्देशक हुआ। द्वितीय पद में पाँच अक्षर "नमो सिद्धाणं", हैं, यह द्वितीय उद्देशक है । पाँचवे पद के नौ अक्षर है "नमो लोएसव्वसाहूणं", यह तृतीय उद्देशक है ।
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चूलिका में प्रथम आलापक सोलह अक्षर "एसो पंचनमुक्कारो सव्वपावप्पणासणो" का है, यह चूलिका का प्रथम उद्देशक है। चूलिका में द्वितीय आलापक आठ अक्षर का है, "मंगलाणं च सव्वेसि", यह चूलिका का द्वितीय उद्देशक है । चूलिका में तृतीय आलापक नौ अक्षर का है "पढमं हवइ मंगलं”- यह चूलिका का तृतीय उद्देशक है। कुल मिलाकर 68 अक्षर हैं। इसकी उपधान - विधि इस प्रकार है नंदी, देववन्दन, कायोत्सर्ग, खमासमणा सूत्र - पूर्वक गुरु-वन्दन और अभिमंत्रित वासक्षेप का क्षेपन आदि की विधि पूर्ववत् है । यहाँ प्रथम दिन एकभक्त (एकासना) के बाद बारह दिनों में पांच उपवास करें। प्रथम नंदी वाले दिन एकासणा या निव करें, दूसरे दिन उपवास करें, तीसरे दिन एकासना करें, चौथे दिन उपवास करें । इसी प्रकार से पाँचवे दिन एकभक्त, छठे दिन उपवास, सातवें दिन
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