________________
अनुक्रमणिका
हिन्दी खण्ड १. भारतीय संस्कृति के दो प्रमुख घटकों का सहसम्बन्ध (वैदिक एवं श्रमण) १-१७ २. महावीर का श्रावक वर्ग तब और अब : एक आत्मविश्लेषण
१८-२४ ३. भगवान महावीर का जन्म स्थल: एक पुनर्विचार
२५-३६ ४. भगवान महावीर का केवलज्ञान स्थल: एक पुनर्विचार
३७-४० ५. भगवान महावीर की निर्वाणभूमि पावा - एक पुनर्विचार
४१-४७ ६. जैन तत्त्वमीमांसा की विकासयात्रा : ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में
४८-५७ ७. जैन दर्शन में मोक्ष की अवधारणा
५८-६१ ८. जिनप्रतिमा का प्राचीन स्वरूप : एक समीक्षात्मक चिन्तन
६२-६८ ९. 'अंगविज्जा' में जैन मंत्रों का प्राचीनतम स्वरूप
६९-७५ १०. उमास्वाति एवं उनकी उच्चै गर शाखा का उत्पत्तिस्थल एवं विचरणक्षेत्र ७६-८१ ११. उमास्वाति का काल
८२-८६ १२. उमास्वाति और उनकी परम्परा
८७-९२ १३. जैन आगम साहित्य में श्रावस्ती
९३-९६ १४. प्राकृत एवं अपभ्रंश जैन साहित्य में कृष्ण
९७-११० १५. मूलाचार : एक अध्ययन
१११-१२३ १६. प्राचीन जैनागमों में चार्वाक दर्शन का प्रस्तुतीकरण एवं समीक्षा १२४-१३१ १७. ऋषिभाषित में प्रस्तुत चार्वाक दर्शन
१३२-१३६ १८. राजप्रश्नीय सूत्र में चार्वाक मत का प्रस्तुतीकरण एवं समीक्षा १३७-१४१ १९. भागवत के रचना काल के सन्दर्भ में जैन साहित्य के कुछ प्रमाण १४२-१४५ २०. बौद्धधर्म में सामाजिक चेतना
१४६-१५५ २१. धर्म निरपेक्षता और बौद्धधर्म
१५६-१६३ २२. महायान सम्प्रदाय की समन्वयात्मक जीवनदृष्टि
१६४-१७४
ENGLISH SECTION
23. Human Solidarity and Jainism : The Challenge of our times 176-185 24. The Impact of Nyaya and Vaisesika School on Jaina Philosophy
186-192
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org