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भगवान महावीर का जन्म स्थल : एक पुनर्विचार : २७
देते हुए उन ग्रामों के नामों की समरूपता को चूर्णि के आधार पर सिद्ध करने का प्रयत्न भी किया है। किन्तु उनके इस प्रयत्न की अपेक्षा जिन विद्वानों ने उनका जन्म स्थान वैशाली के निकट कुण्डग्राम बताया है और आवश्यकचूर्णि के माध्यम से उनके दीक्षित होने के पश्चात् ही विहार यात्रा के ग्रामों का समीकरण कोल्लागसन्निवेश (वर्तमान कोल्हुआ) आदि से किया है वह अधिक युक्तिसंगत प्रतीत होता है। कोल्लाग को सन्निवेश कहने का तात्पर्य यही है कि वह किसी बड़े नगर का उपनगर (कॉलोनी) था और यह बात वर्तमान में वैशाली के निकट उसकी अवस्थिति से बहुत स्पष्ट हो जाती है। कल्पूसत्र में उनके दीक्षा स्थल का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि उन्होंने ज्ञातृखण्डवन में अशोक वृक्ष के नीचे दीक्षा स्वीकार की। इससे यह भी सिद्ध होता है कि ज्ञातखण्डवन ज्ञातवंशीय क्षत्रियों के अधिकार का वन क्षेत्र था और ज्ञातृवंशीय क्षत्रिय जिनका कुल लिछवी था, वैशाली के समीप ही निवास करते थे। आज भी उस क्षेत्र में जथेरिया क्षत्रियों का निवास देखा जाता है। 'जथेरिया' शब्द मूलत: ज्ञातृ का ही अपभ्रंश रूप है, अत: यह सिद्ध होता है कि महावीर का जन्म स्थान वैशाली के निकट कुण्डपुर ही हो सकता हैं। वैशाली से जो एक मुहर प्राप्त हुई है उसमें वैशालीकुण्ड का ऐसा उल्लेख है। इससे भी यह सिद्ध होता है कि क्षत्रिय कुण्ड, ब्राह्मण कुण्ड, कोल्लाग आदि वैशाली के ही उपनगर थे। वैशाली गणतंत्र था और इन उपनगरों के नगर प्रमुख भी राजा ही कहे जाते होंगे। अत: भगवान महावीर के पिता सिद्धार्थ को राजा मानने में कोई आपत्ति नहीं आती। पुन: कल्पसूत्र में उन्हें राजा न कहकर मात्र क्षत्रिय कहा गया है। भगवान महावीर का जन्म स्थान वैशाली का निकटवर्ती कुण्डग्राम ही हो सकता है, इसका एक प्रमाण यह भी है कि भगवान महावीर को सूत्रकृतांग जैसे प्राचीन आगम में (१/२/३/२२) ज्ञातृपुत्र के साथसाथ वैशालिक भी कहा गया हैं। उनके वैशालिक कहे जाने की सार्थकता तभी हो सकती है जबकि उनका जन्म स्थल वैशाली के निकट हुआ।
___ कुछ लोगों का यह तर्क कि उनके मामा अथवा नाना चेटक वैशाली के अधिपति थे अथवा माता वैशालिक थीं इसलिये उन्हें वैशालिक कहा गया, समुचित नहीं है, क्योंकि मामा या नाना के गांव के निवास स्थान के आधार पर किसी व्यक्ति को तद् नाम से पुकारे जाने की परम्परा नहीं रही है। दूसरे हम यदि यह भी मान लें कि महावीर का ननिहाल वैशाली था और इसलिये वे वैशालिक कहे जाते हैं तो एक सम्भावना यह भी मानी जा सकती है कि अपने ननिहाल में जन्म होने के कारण उन्हें वैशालिक कहा गया हो। माता के पितृगृह अथवा सन्तान के ननिहाल
में जन्म लेने की परम्परा तो वर्तमान में भी देखी जा सकती है। किन्तु जैसा पूर्व Jain Education International
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