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जीवसमास
रची है और अनेक गाथाओं का आगम के आधार पर स्वयं भी स्वतन्त्र रूप से निर्माण किया है। (पृ० ३७) फिर भी यह सत्य है कि दोनों जीवसमासों में कुछ गाथायें समान हैं। अनुवादिका साध्वी श्री विद्युत्प्रभाश्री जी के सहयोग से जो कुछ समान गाथाएं हमें प्राप्त हो सकी वे नीचे दी जा रही हैं
जीवसमास- पञ्चसंग्रह : तुलनात्मक अध्ययन (१) मार्गणा जीवसमास
गइ इन्दिय काए जोए वेए कसाय नाणे य।
संजम दंसण लेसा भव सम्मे सन्नि आहारे।। ६ ।। पञ्चसंग्रह
गइ इन्दियं च काए जोए वेए कसाय णाणे य।
संजम दंसण लेस्सा भविया सम्मत सण्णि आहारे ।। ५७ ।। (२) जीव के भेद जीवसमास
एगिंदिया य बायरसुहुमा पज्जतया अपज्जत्ता। बियतिय चरिंदिय दुविह भेय पज्जत इयरे य।। २३ ।। पंचिन्दिया असण्णी सण्णी पज्जत्तया अपज्जत्ता।
पंचिदिएसु चोद्दस मिच्छदिट्टि भवे सेसा ।। २४ ।। पञ्जसंग्रह
बायरसुहुमेगिंदिय बि-ति-चउरिदिय असण्णी-सण्णीय।
पज्जत्तापज्जत्ता एवं चौद्दसा होति ।। ३४ ।। (३) गुणस्थान जीवसमास
मिच्छाऽऽसायण मिस्सा अविरयसम्मा य देसविरया य। विरया पमत्त इयरे अपुव्व अणियट्टि सुहुमा य।। ८ ।। उवसंत खीणमोहा सजोगी केवलिजिणो अजोगी य। चौदस जीवसमासा कमेण एएऽणुगंतव्वा ।। ९ ।।
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