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________________ प्रो. सागरमल जैन 11 श्रुत (आगम) (क) अंगप्रविष्ट (ख) अंगबाहय (क) आवश्यक (ख) आवश्यक व्यतिरिक्त 1. आचारांग 2. सूत्रकृतांग 3. स्थानांग 4. समवायांग 5. व्याख्याप्रज्ञप्ति 6. ज्ञाताधर्मकथा 7. उपासकदशांग 8. अन्तकृत्दशांग 9. अनुत्तरौपपातिकदशांग 10. प्रश्नव्याकरण 11. विपाकसूत्र 12. दृष्टिवाद 1. सामायिक 2. चतुर्विंशतिस्तव 3. वन्दना 4. प्रतिक्रमण 5. कायोत्सर्ग 6. प्रत्याख्यान (क) कालिक (ख) उत्कालिक 1. उत्तराध्ययन 2. दशाश्रुतस्कन्ध 3. कल्प 4. व्यवहार 5. निशीथ 6. महानिशीथ 7. ऋषिभाषित 8. जम्बूदीपप्रज्ञप्ति 9. दीपसागरप्रज्ञप्ति 10. चन्द्रप्रज्ञप्ति 11. क्षुल्लिकाविमान -प्रविभक्ति 12. महल्लिकाविमान -प्रविभक्ति 13. अंगचूलिका 14. वग्गचूलिका 15. विवाहचूलिका 16. अरुणोपपात 17. वरुणोपपात 18. गरुडोपपात 19. धरणोपपात 20. वैश्रमणोपपात 1. दशवैकालिक 21. वेलन्धरोपपात 2. कल्पिकाकल्पिक 22. देवेन्द्रोपपात 3. चुल्लकल्पश्रुत 23. उत्थानश्रुत 4. महाकल्पश्रुत 24. समुत्थानश्रुत 5. औपपातिक 25. नागपरिज्ञापनिका 6. राजप्रश्नीय 26. निरयावलिका 7. जीवाभिगम 27. कल्पिका 8. प्रज्ञापना 28. कल्पावतंसिका 9. महाप्रज्ञापना 29. पुष्पिता 10. प्रमादाप्रमाद 30. पुष्पचूलिका 11. नन्दी 31. वृष्णिदशा 12. अनुयोगद्वार 13. देवेन्द्रस्तव 14. तन्दुलवैचारिक 15. चन्द्रवेध्यक 16. सूर्यप्रज्ञप्ति 17. पौरुषीमंडल 18. मण्डलप्रवेश 19.विद्याचरण विनिश्चय 20. गणिविद्या 21. ध्यानविभक्ति 22. मरणविभक्ति 23. आत्मविशोधि 24. वीतरागश्रुत 25. संलेखणाश्रुत 26. विहारकल्प 27. चरणविधि 28. आतुरप्रत्याख्यान 29. महाप्रत्याख्यान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001685
Book TitleSagar Jain Vidya Bharti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size12 MB
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