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568/मंत्र, तंत्र, विद्या सम्बन्धी साहित्य
सूरिमन्त्रसंग्रहः
यह कृति अज्ञातसरि की है ऐसा कृति नाम के साथ उल्लेख किया गया है। यह संस्कृत गद्य में रचित हैं यद्यपि इसमें कुछ प्राकृत गाथाएँ अवतरित की गई हैं। इसमें चार प्रकार के सूरिमन्त्रों का निरूपण हुआ हैं यह इस कृति के नाम से भी स्पष्ट होता है। तीन सूरिमन्त्र पाँच प्रस्थान से सम्बन्धित है तथा एक सूरिमन्त्र की विधि छह प्रस्थान से युक्त हैं। इसके रचनाकाल आदि का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिला है। सूरिमन्त्रस्य विविधाःप्रकाराः
___'सूरिमन्त्रकल्पसमुच्चय' भाग द्वितीय जो जम्बूविजयजी द्वारा संपादित हैं, उसमें सूरिमन्त्र की साधना विधि से सम्बन्धित बीस प्रकार के लगभग स्तव-स्तोत्र-कल्प- लब्धिपद प्रस्थानपद आदि उल्लिखित हैं और वे प्रायः भिन्न-भिन्न आम्नाय से सम्बद्ध है, उनके नामनिर्देश अधोलिखित हैं - १. श्री मानदेवसूरिकृत- सूरिमन्त्रस्तव २. श्री मानदेवसूरिकृत- सूरिमन्त्राधिष्ठायक स्तुति ३. पूर्णचन्द्रसूरिविरचित- सूरिविद्याध्यान-फलादि-व्यावर्णक स्तोत्र ४. मेरुतुंगसूरिसमुदृत- सूरिमन्त्रसाधनाविधि-फलादिव्यावर्णन पर कल्प ५. कमलाकरसूरि विरचित- श्री सूरिमन्त्र साधनाक्रम ६. सूरिमन्त्र का स्वरूप, जपविधि और पटालेखनविधि ७. श्री रत्नसिंहसूरि द्वारा निर्मित- लब्धिपद ८. हरिप्रभाचार्य द्वारा वर्णित- लब्धिपद ६. अज्ञातसूरिकृत- सूरिमन्त्र १०. श्री सोमविमलसूरि लिखित- सूरिमन्त्र ११. श्री अर्वाचीनसूरिमन्त्र- पटानुसार लिखित १२. कनकविमलसरि वर्णित- सरिमन्त्र १३. ललितदेवसूरिकृत- लब्धिपद १४. तेरहलब्धिपदों से युक्त- सूरिमन्त्र विशेष १५. पन्द्रहलब्धिपदों से युक्त- सूरिमन्त्र विशेष १६. श्री शालिसूरि के लब्धिपद १७. सोलहलब्धिपदों से युक्त- सूरिमन्त्र विशेष १८. श्री सीमंधरस्वामी द्वारा उपदिष्ट, अम्बिकादेवी द्वारा प्रदत्त, श्रीमानदेवसूरि की परम्परा में प्रवृत्त सूरिमन्त्र १६. बियालीस लब्धिपदों से युक्त सूरिमन्त्र २०. पच्चीय लब्धिपदों से युक्त सूरिमन्त्र २१. इक्यावन लब्धिपदों से युक्त सूरिमन्त्र विशेष।
उपर्युक्त सूरिमन्त्रों के उल्लेख करने का कारण यह हैं कि ये विधि-विधान से सम्बन्ध रखने वाले हैं। सूरिमन्त्र की साधना विधि-विधान पूर्वक ही की जाती है।
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