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________________ 198/संस्कार एवं व्रतारोपण सम्बन्धी साहित्य १३. यतिमूर्ति-प्रतिष्ठा विधि- इस अधिकार में आचार्य, उपाध्याय एवं साधु की प्रतिमा को स्थापित करने की विधि का प्रतिपादन किया गया है। ___१४. ग्रह-प्रतिष्ठा विधि- इसमें सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र तारा आदि की मूर्तियों को स्थापित करने की विधि वर्णित है। १५. चतुर्निकाय-प्रतिष्ठा विधि- इसके अन्तर्गत दिग्पालइन्द्र एवं शासन यक्षादि की मूर्ति की प्रतिष्ठा विधि का उल्लेख है। यह ज्ञात रहें कि शासन देवियों की प्रतिष्ठा विधि देवियों की प्रतिष्ठा विधि के अन्तर्गत वर्णित है। १६. गृहमन्दिर-प्रतिष्ठा विधि- यह विधि भित्ति, स्तम्भ, देहली, द्वार आदि की प्रतिष्ठा से सम्बन्धित है। १७. वाप्यादि जलाशय-प्रतिष्ठा विधि - इसमें कूप, तडाग आदि जलाशय से सम्बन्धित स्थानों की प्रतिष्ठाविधि वर्णित है। १८. वृक्ष-प्रतिष्ठा विधि- यहाँ वृक्ष का तात्पर्य उद्यान वनदेवता आदि की प्रतिष्ठा विधि से है। १६. अट्टालिकादि की प्रतिष्ठा विधि - इसमें मकान के ऊपरी छत की प्रतिष्ठा विधि वर्णित है। २०. दुर्ग की प्रतिष्ठा विधि- यहाँ दुर्गप्रतोली? यन्त्रादि समझना चाहिए। ___ इस प्रतिष्ठा विधि के अन्त में अधिवासना विधि, प्रतिष्ठादि की दिन शुद्धि और प्रतिष्ठा का लक्षण बताया गया है। २. शान्त्याधिकार विधि - इस शान्तिक विधि नामक अधिकर में सर्वप्रथम शान्ति के प्रकार बताये गये हैं। उसके बाद शान्तिक विधि की चर्चा करते हुए यह उल्लेख किया गया है कि यह विधि शान्तिनाथ प्रभु की प्रतिमा के समक्ष करनी चाहिए। उनकी पूजा करने के लिए- बिम्ब के आगे सात पीठ रखने चाहियें, जो स्वर्ण, रूपय, ताम्र या कांसा से निर्मित हों। उसके बाद प्रथम पीठ पर पंच परमेष्ठी की स्थापना, द्वितीय पीठ पर दिक्पालों की स्थापना, तृतीय पीठ पर तीन-तीन के क्रम से चारों दिशाओं में बारह राशियों की स्थापना, चतुर्थ पीठ पर सात-सात के क्रम से चारों दिशाओं में सत्ताईस नक्षत्रों की स्थापना, पंचम पीठ पर दिशाओं के क्रम से नौ ग्रहों की स्थापना, षष्टम पीठ पर सोलह विद्यादेवीयों की स्थापना एवं सप्तम पीठ पर गणपति की स्थापना करनी चाहिए। तत्पश्चात् मन्त्रोच्चारण पूर्वक पूर्वोक्त देव-देवीयों नक्षत्र, राशि, ग्रह आदि प्रत्येक के नामों का उच्चारण करते हुए प्रत्येक पीठ का पूजन करना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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