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178 / विविध तप सम्बन्धी साहित्य
नवपद आराधना विधि की कई पुस्तकें प्रकाशन में आई हैं- किन्तु यह कृति अनेक दृष्टियों से विशेष उपयोगी लगती है- इसमें नवपदों के नौ चित्र दिये गये हैं, नवपदों का वर्ण, ध्यान, महत्त्व आदि की अपेक्षा से विवेचन किया गया है। साथ ही इसमें नवपद की आराधना क्यों ? इत्यादि विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
स्पष्टतः यह कृति विशुद्ध आराधक वर्ग की अपेक्षा अति महत्त्वपूर्ण हैं। ज्ञान-पंचमी-सुव्रत-विधि
यह पुस्तक' मुख्य रूप से हिन्दी पद्य में गुम्फित है तथा खरतरगच्छीय प्रवर्त्तिनी सज्जन श्री जी द्वारा संकलित की गई है। प्रस्तुत पुस्तक में 'ज्ञानपंचमी तप' करने से सम्बन्धित निम्न विधियाँ दी गई हैं १. ज्ञान ग्रन्थ की स्थापना-विधि २. ज्ञान के प्रमुख साधनों की पूजा विधि ३. ज्ञानपंचमीतप की विधि ४. ग्यारहअंगसूत्र की सज्झाय ( स्वाध्याय) ५. ज्ञानपंचमीतप पूर्ण होने पर उद्यापनादि की विधि ६. सर्व तपस्या ग्रहण करने की विधि ७. सर्वतप पारणविधि अन्त में ज्ञान का माहात्म्य प्रकट करने के लिए वरदत्त - गुणमंजरी का कथानक प्रस्तुत किया गया है।
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यह पुस्तक ‘पुण्यसुवर्णज्ञानपीठ जयपुर से वि.सं. २०२२ में प्रकाशित हुई है।
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