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________________ 164/विविध तप सम्बन्धी साहित्य एकादशीव्रतोद्यापन यह रचना' मुनि यशकीर्ति ने संस्कृत में लिखी है। इसमें एकादशीव्रत के उद्यापन की विधि कही गई है। कर्मचूरतप विधि यह पुस्तक हिन्दी गद्य-पद्य रूप मिश्रित भाषा में हैं। इसका संकलन प्र. तिलकश्रीजी द्वारा किया गया है। यह तप आठ दिवस तक निरन्तर किया जाता है। इस तप में बोलने योग्य चैत्यवन्दन-स्तवन-स्तुति आदि खरतरगच्छीय आचार्य कवीन्द्रसागरजी द्वारा रचित है। चैत्रीकार्तिकीपूर्णिमा-देववन्दनविधि यह कृति हिन्दी पद्य में है। इसकी रचना खरतरगच्छीय आचार्य कवीन्द्रसागर जी ने की है। इस कृति में मुख्यतः दो प्रकार की विधि वर्णित है १. चैत्रीपूर्णिमा तप विधि- इसमें १० गाथा से लेकर क्रमशः २०, ३०, ४० एवं ५० गाथा तक के चैत्यवन्दन एवं स्तवन दिये गये हैं जिन्हें उस दिन देववन्दन के अवसर पर बोलते हैं। २. कार्तिकपूर्णिमा तप विधि- इस दिन शत्रुजय गिरिराज के पाँच स्थानों की परिकल्पना करके चैत्यवन्दन विधि की जाती हैं। इसमें पाँच स्थान पर बोलने योग्य चैत्यवन्दन- स्तवन-स्तुति आदि का उल्लेख हुआ है। वे पाँच स्थान निम्न हैं - १. तलहटी-मन्दिर २. सिद्धाचलशांति-जिनालय ३. रायणरुखपगला ४. सीमंधर-स्वामी-जिनालय ५. पुण्डरीकस्वामी जिनालय। अन्त में दादा आदिनाथ के दरबार में करने योग्य चैत्यवन्दन विधि के स्तवनादि दिये हैं। तपसुधानिधि यह पुस्तक हिन्दी भाषा में निबद्ध है। इस पुस्तक का लेखन पं. हीरालाल दूगड़ ने किया है। इस कृति में मूलतः तप संबंधी विधि-विधान निर्दिष्ट किये गये हैं। यह कृति अपनी प्रामाणिकता की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इस कृति में उद्धरण ग्रन्थों के साक्ष्यपाठों को ज्यों का त्यों लिया गया है और प्रायः साक्ष्यपाठों के आधार पर ही तप विधियों का स्वरूप दिया गया है। यह इस कृति की अनूठी विशिष्टता है। प्रस्तुत पुस्तक का अवलोकन करने से ज्ञात होता हैं कि इसमें दी गई अधिकतर तप विधियाँ विधिमार्गप्रपा एवं आचारदिनकर के अनुसार ही वर्णित है। इस तप को करने योग्य विधि 'जिनरत्नकोश- पृ. ६२ २ यह पुस्तक वि.सं. २०२४ में श्राविका मण्डल, साधारण भवन, मद्रास ने प्रकाशित की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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