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________________ जैन विधि-विधान सम्बन्धी साहित्य का बृहद् इतिहास/133 अध्याय ४ षडावश्यक (प्रतिक्रमण) सम्बन्धी विधि-विधानपरक साहित्य आवश्यकसूत्र जैन आगम साहित्य में आवश्यकसूत्र का अपना विशिष्ट स्थान है। यह सूत्र प्राकृत गद्य में निबद्ध है। इसका रचनाकाल लगभग ई.पू. तीसरी शती माना जाता है। प्रस्तुत सूत्र में साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका के लिए अवश्य करने योग्य छह आवश्यक क्रियाओं का विधान कहा गया है। प्रथम और अन्तिम तीर्थंकर के श्रमणों के लिए यह नियम हैं कि वे अनिवार्य रूप से आवश्यक विधि करें। यही वजह हैं कि श्वेताम्बर परम्परा में मुनि या गृहस्थ सभी को धार्मिक अध्ययन का प्रारम्भ आवश्यकसूत्र से ही करवाया जाता है। आवश्यक जैन साधना का मुख्य प्राण है। यह जीवनशद्धि और दोष परिमार्जन की जीवन्त प्रक्रिया है। साधक चाहे साक्षर हो, चाहे निरक्षर हो, सामान्य जिज्ञासु हो या मूर्धन्य मनीषी हों सभी साधकों के लिए आवश्यक विधि का ज्ञान अनिवार्य माना गया है। जैसे वैदिक परम्परा में संध्या कर्म है, बौद्ध परम्परा में प्रवारणा और उपोसथ है, पारसियों में खोरदेह अवेस्ता है, यहूदी और ईसाईयों में प्रार्थना है, इस्लाम धर्म में नमाज है, वैसे ही जैन धर्म में दोषों की विशुद्धि के लिए और गुणों की अभिवृद्धि के लिए आवश्यक है। ___ अनुयोगद्वारचूर्णि में आवश्यक की परिभाषा करते हुए लिखा है कि जो गुणशून्य आत्मा को प्रशस्त भावों से आवासित करता है, वह आवश्यक है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि जिस साधना और आराधना से आत्मा शाश्वत सुख का अनुभव करें, कर्म-मल को नष्ट करके रत्नत्रय के आलोक को प्राप्त करें वह आवश्यक है। अपनी भूलों के परिष्कार के लिए कुछ न कुछ क्रिया करना अनिवार्य होता है और वही क्रिया आवश्यक विधि है। प्रस्तुत सूत्र में आवश्यक के छह अंग कहे गये हैं - १. सामायिक- समभाव की साधना। २. चतुर्विंशतिस्तव- चौवीस तीर्थंकरों की स्तुति। ३. वन्दन- सद्गुरूओं को नमस्कार एवं उनका गुणगान। ४. प्रतिक्रमणदोषों की आलोचना। ५. कायोत्सर्ग- शरीर के प्रति ममत्व का त्याग। ६. प्रत्याख्यान- आहार अथवा दुष्प्रवृत्तियों का त्याग। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001679
Book TitleJain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages704
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, History, Literature, & Vidhi
File Size11 MB
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