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________________ आचारदिनकर (खण्ड- ४ ) प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि अनर्थदण्ड का सेवन करने पर गुरुजनों ने उपवास का प्रायश्चित्त बताया है। नपुंसक आदि का विवाह करने पर तथा अन्य विवाह कराने पर प्रत्येक विवाह के लिए क्रमशः आयम्बिल एवं पूर्वार्द्ध का प्रायश्चित्त आता है । नियम होने पर भी सामायिक न करने पर तथा सामायिक का भंग करने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है । सामायिक में जल एवं अग्नि आदि का स्पर्श करने पर जितनी बार स्पर्श किया हो, उतने पूर्वार्द्ध का प्रायश्चित्त आता है । राजा तथा धर्म के कारण देशावकाशिक - व्रत का भंग होने पर पूर्वार्द्ध का प्रायश्चित्त आता है। नियम होने पर भी पौषध न करे, साधुओं को दान न दे, तो उपवास का प्रायश्चित्त आता है । अब पौषधभंग होने पर उसके प्रायश्चित्त की विधि बताते हैं पर उपाश्रय से बाहर जाते समय निसीही आदि न बोलने पर, स्थण्डिलभूमि का प्रमार्जन न करने पर, अप्रमार्जित स्थण्डिलभूमि पर कफ एवं मल-मूत्र का त्याग करने पर, प्रमार्जन किए बिना वस्तु लेने या रखने पर, प्रमार्जन किए बिना कपाट आदि खोलने या बन्द करने पर, काया का प्रमार्जन किए बिना खुजली करने पर, दीवार, स्तम्भ आदि का प्रमार्जन किए बिना सहारा लेने पर, गमनागमन में लगे दोषों की आलोचना न करने पर तथा उपधि की प्रतिलेखना न करने इन सब दोषों के लिए निर्विकृति का प्रायश्चित्त आता है । दूसरों के अंगों का स्पर्श करने पर, ज्योति का स्पर्श करने पर पूर्वार्द्ध का प्रायश्चित्त आता है। बिना लोमपटी के विप्रुट' का स्पर्श करने पर पूर्वार्द्ध का प्रायश्चित्त आता है । मुखवस्त्रिका कहीं गिर जाए, तो उपवास का प्रायश्चित्त आता है । अप्रमार्जित भूमि पर मूत्र का विसर्जन करने पर तथा दिन में सोने पर आयम्बिल का प्रायश्चित्त आता है। इसी प्रकार सामायिक में भी अतिचार लगने पर यथोचित प्रायश्चित्त दें । अब श्रावक के लिए करणीय आवश्यक में लगे दोषों की प्रायश्चित्त - विधि बताते है 42 - 9 जम्बूविजय जी म.सा. के अनुसार लोमपटी का अर्थ एक छोटा सा रूमाल लगता है तथा विप्रुट का अर्थ मुख की लाला लगता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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