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________________ आचारदिनकर (खण्ड-४) 1 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि सैंतीसवाँ उदय प्रायश्चित्त-विधि अब प्रायश्चित्त की विधि बताते हैं, वह इस प्रकार है - इस लोक में प्रायश्चित्त को प्रमादवश किए गए पापों की विशुद्धि का हेतु माना गया है। सामान्यतया क्रोध, मान, माया एवं लोभ के आवेगों तथा शब्द, रूप, रस, गन्ध एवं स्पर्श से प्रेरित आत्मा जाने या अनजाने में जो पुण्य-पापरूप आचरण करती है और उनके फलों का जो विपाक होता है, उस फल-विपाक का क्षय प्रायश्चित्त से नहीं होता है, उन कर्मों के फल-विपाक को भवान्तर में भोगकर ही क्षय करना पड़ता है, किन्तु उग्र तपस्याएँ या मन-वचन और काया की सजगतापूर्वक शुक्लध्यान के द्वारा उन कर्मों का क्षय हो सकता है, अन्य किसी प्रकार से उन कमों का नाश नहीं हो सकता है। जैसा कि आगम में कहा गया हैं - "पूर्व में किए गए दुष्चिन्तित एवं दुष्प्रतिकान्त पापकों के फल का वेदन किए बिना मोक्ष नहीं होता है। मात्र तप से ही उनके फल-विपाक के वेदन से छुटकारा मिल सकता है। अज्ञानतावश नाना प्रकार के भोगों को भोगते हुए या दूसरों के आदेशवश या भयवश या हास्यवश, अथवा नृपादि के बल के कारण, किंवा प्राण की रक्षा के लिए यां गुरु तथा संघ की बाधाओं को दूर करने के लिए या परवशता में या मिरगी, दुर्भिक्ष आदि संकटों में किए गए पापों का क्षय गीतार्थ सद्गुरु के समक्ष उनकी आलोचना करके एवं प्रायश्चित्त-विधि का सम्यक् आचरण करके ही हो सकता है। पापों का क्षय करने वाली प्रायश्चित्त की सम्यक् विधि तो केवलि भगवान् के अतिरिक्त कोई भी नहीं जानता है। जिस प्रकार शीघ्रता से फाड़े जाने वाले कपड़े के तन्तु के छेदन का काल जानना कठिन है, ठीक उसी प्रकार मन में उद्भव होने वाले शुभ-अशुभ परिणामों को जानना भी कठिन है। मन के परिणामों की गति तो बहुत ही सूक्ष्म है। मन के सूक्ष्मातिसूक्ष्म असंख्य परिणामों के अंतर को जानना अतिकठिन है। वस्तुतः क्रोध, मान, माया, लोभ, राग-द्वेष एवं पाँचों इन्द्रियों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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