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________________ आचारदिनकर (खण्ड-४) 271 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि योगोद्वहन-तप को छोड़कर उपर्युक्त सभी तप साधु एवं श्रावकों द्वारा करने योग्य हैं। योगोद्वहन-तप साधु के लिए ही योग्य है। पुनः मूलग्रन्थ में यही बात बताई गई है। कल्याणक-तप, ज्ञान-दर्शन-चारित्र-तप, चांद्रायण-तप, वर्धमान-तप, परमभूषण- तप, जिनदीक्षा-तप, तीर्थंकरज्ञान-तप, तीर्थकरनिर्वाण-तप, अनोदरिका-तप, संलेखना-तप, सर्वसंख्या श्रीमहावीर-तप, कनकावली-तप, मुक्तावली-तप, रत्नावली-तप, लघुसिंहनिष्क्रीड़ित-तप, बृहसिंहनिष्क्रीड़ित-तप, भद्रतप, महाभद्र-तप, भद्रोत्तर-तप, सर्वतोभद्र-तप, गुणरत्नसंवत्सर-तप, ग्यारह अंग-तप, सवंत्सर-तप, नन्दीश्वर-तप, पुंडरीक-तप, माणिक्यप्रस्तारिका-तप, पद्मोत्तर-तप, समवशरण-तप, वीरगणधर-तप, अशोकवृक्ष-तप, एक-सौ-सत्तर जिन-तप, नवकार-तप, चौदहपूर्व-तप, चतुर्दशी-तप, एकावली-तप, दशविधयतिधर्म-तप, पंचपरमेष्ठी-तप, लघुपंचमी-तप, बृहत्पंचमी-तप और चतुर्विधसंघ-तप - इन तपों के अतिरिक्त स्वर्गादि की इच्छा रखने वाले तथा पवित्र वृत्ति वाले मनुष्यों द्वारा जिन तपों का ग्रहण किया जाता है, वे सभी तप भी तप में ही समाहित हैं, उन तपों में से घनतप, महाघनतप, वर्गतप, श्रेणीतप, पाँच मेरुतप, बत्तीस कल्याणकतप, च्यवनतप, जन्मतप, सूर्यायणतप, लोकनालीतप, कल्याणक अष्टाह्नकतप, आयंबिलवर्धमानतप, माघमालातप, महावीरतप, लक्षप्रतिपदतप - ये सब तप गीतार्थों द्वारा बताए गए हैं। साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका एवं महात्माओं के आचरण करने योग्य ये ५१ प्रकार के तप गीतार्थों द्वारा कहे गए हैं। सर्वांगसुन्दर-तप, निरूजशिख-तप, सौभाग्यकल्पवृक्ष-तप, दमयंती-तप, आयतिजनक-तप, अक्षयनिधि-तप, मुकुटसप्तमी-तप, अम्बातप, श्रुतदेवीतप, रोहिणीतप, मातृतप, सर्वसुखसंपत्ति-तप, अष्टापदपावड़ी-तप, मोक्षदण्डतप, अदुःखदर्शीतप (दूसरा) गौतमपडघातप, निर्वाणदीपतप, अमृताष्टमीतप, अखण्डदशमीतप, परत्रपालीतप, सोपानतप, कर्मचतुर्थतप, नवकारतप (छोटा), अविधवादशमी-तप, बृहत्नंद्यावर्त्ततप एवं लघुनंद्यावर्त्ततप - ये सत्ताईस प्रकार के फल तप बताए गए हैं। ये किसी इच्छा की पूर्ति हेतु किए जाते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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