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________________ आचारदिनकर (खण्ड-४) 240 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि को वन्दन करे। इस प्रकार मध्यम चैत्यवंदन की यह विधि सम्पूर्ण होती है। अब उत्कृष्ट चैत्यवंदन की विधि बताते है - उत्कृष्ट चैत्यवंदन में क्रमशः जिनस्तव, शक्रस्तव, चैत्यस्तव, जिनस्तुति, चतुर्विंशतिस्तव, सर्वलोक अरिहंत चैत्यस्तव तथा उनकी स्तुति, श्रुतस्तव कायोत्सर्ग, श्रुतस्तुति और सिद्धस्तव कहकर, वैयावृत्यकर देवों का कायोत्सर्ग और उनकी स्तुति करे। पुनः शक्रस्तव, चैत्यवंदन एवं साधुवंदन, जिनस्तोत्र एवं जयवीयराय की गाथाओं द्वारा जो चैत्यवंदन किया जाता है, उसे उत्कृष्ट चैत्यवंदन कहते हैं। इसकी विस्तृत व्याख्या इस प्रकार है - सर्वप्रथम गमनागमन में लगे दोषों की आलोचना करके कहे - "हे भगवन् ! इच्छापूर्वक आप मुझे चैत्यवंदन करने की अनुज्ञा दीजिए - इस प्रकार कहकर आर्या छंद के राग में “वरकनक" जिनस्तव बोले। तत्पश्चात् शक्रस्तव का पाठ करके “अरिहंत चेइयाणं करेमि काउसग्गं"- इस प्रकार बोलकर अन्नत्थसूत्र बोले तथा नमस्कारमंत्र का कायोत्सर्ग करे। “नमोअरिहंताणं"- इस प्रकार बोलकर कायोत्सर्ग पूर्ण करे तथा “नमोऽर्हत्." बोलकर प्रस्तुत जिनस्तुति की एक गाथा बोले। पुनः चतुर्विंशतिस्तव बोलकर “सव्वलोए अरिहंत. वंदणवत्तियाए यावत् वोसिरामि" तक बोले। कायोत्सर्ग में नमस्कारमंत्र का चिन्तन करे। “नमो अरिहंताणं"- इस प्रकार बोलकर कायोत्सर्ग पूर्ण करे तथा सर्वजिनस्तुति बोले। तत्पश्चात् श्रुतस्तव का पाठ बोलकर “सुअस्स भगवओ करेमि काउसग्गं वंदणवत्तियाए. यावत् अप्पाणं वोसरामि"इस प्रकार बोलकर कायोत्सर्ग करे। कायोत्सर्ग में नमस्कारमंत्र का चिन्तन करे। “नमो अरिहंताणं"- इस प्रकार बोलकर कायोत्सर्ग पूर्ण करे तथा श्रुतस्तुति बोले। फिर सिद्धस्तव का पाठ बोलकर "वैयावच्चगराणं संतिगराणं समदिट्ठि समाहिगराणं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. यावत् अप्पाणं वोसिरामि"- इस प्रकार बोलकर पूर्ववत् कायोत्सर्ग करके "नमो अरिहंताणं" बोलकर कायोत्सर्ग पूर्ण करे तथा "नमोऽर्हत्" कथनपूर्वक वैयावृत्यकर देवता की स्तुति बोले। पुनः बैठकर शक्रस्तव का पाठ बोले। तत्पश्चात् चैत्यगाथा (जावंतिचेइआइं.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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