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सादरसमर्पण
पूज्या सुलोचनाश्रीजी म.सा.
पूज्या सुलक्षणाश्रीजी म.सा.
परमात्म भक्ति से जिनका जीवन महकता है, यथा उपवन !
तप-जप-संयम से जिनका जीवन बन गया है यथा दर्पण ! पार्श्वमणि तीर्थोद्धार से जिनका जीवन बन गया है धन्य-धन्य !
ऐसी गुरुवर्याश्रीजी के चरणों में कोटि-कोटि वन्दन ! मातृहृदया समन्वित है आप वात्सल्य-भाव रस अमृत ! ऐसी गुरुवर्या के चरणों में है यह मेरा जीवन अर्पित !
उन परम श्रद्धेया, शान्तमूर्ति परम पूज्या सुलोचनाश्रीजी म.सा.
__ एवं पूज्या सुलक्षणाश्रीजी म.सा. के पावन चरणों में यह कृति सादर समर्पित ।
- प्रियदिव्यांजनाश्री
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