SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 481
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 9. मोक्षमार्ग चित्रक्रमांक 9 सम्यग्ज्ञान के भेद मोक्षतत्त्व में ज्ञान के पाँच भेद बताए गए हैं। उन्हें स्पष्ट करने के लिए फूल की कल्पना को चित्र में दिखाया गया है । जिस प्रकार फूल क्रम से विकसित होता जाता है, उसी प्रकार ज्ञान भी धीरे-धीरे विकसित होता जाता है । जिस प्रकार अंतिम अवस्था में फूल पूर्णतया विकसित हो जाता है, उसी प्रकार पूर्ण ज्ञान 'केवल' ज्ञान है । सारे ज्ञानों में केवलज्ञान श्रेष्ठ ज्ञान है । 10. मोक्षतत्त्व : चित्र क्र० मोक्षतत्त्व में मोक्षमार्ग का उल्लेख आ चुका है । मोक्ष की ओर प्रयाण करने के लिए मोक्षमार्ग अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । वह मोक्षमार्ग है- सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र का मार्ग | चित्र में मोक्ष - शिखर पर पहुँचने के लिए दर्शन, ज्ञान और चारित्र की तीन सीढ़ियाँ दिखाई गई हैं। इन्हें 'रत्नत्रय' भी कहते हैं । इस मार्ग का अवलंबन करने पर ही आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है । Jain Education International 10 मोक्षमार्ग - पृ० - (888) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001676
Book TitleJain Darshan ke Navtattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmashilashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy