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________________ प्रकाशकीय साध्वीवर्या डॉ० धर्मशीलाजी ने 'जैन संस्कृत ग्रन्थों में नवतत्त्वों का विवेचन' विषय को लेकर एक शोध-प्रबन्ध लिखा था, जिसपर उन्हें पूना विश्वविद्यालय से पी-एच०डी० की उपाधि प्रदान की गई थी। चूंकि शोध-प्रबन्ध मूलत: मराठी भाषा में लिखा गया था अत: इसका प्रथम प्रकाशन भी मराठी भाषा में हुआ। जैन धर्म दर्शन में नवतत्त्वों का जो मूल्य और महत्त्व है, उसे दृष्टिगत रखते हुए गुजराती भाषा-भाषियों के लिए इसका गुजराती अनुवाद प्रकाशित हुआ, किन्तु हिन्दी भाषा-भाषियों के लिए इस ग्रन्थ का अभाव खटकता रहा। अत: उनकी प्रार्थना को ध्यान में रखकर पूज्याश्री साध्वीजी ने इसका हिन्दी रूपान्तरण तैयार किया। इस महान श्रम के लिए हम पूज्या साध्वीजी के विशेष आभारी हैं। डॉ० सागरमलजी जैन ने उस रूपान्तरण को सम्यक् प्रकार से सम्पादित करके उसकी प्रेस कापी तैयार की और कम्प्यूटर पर उसकी टाइप सेटिंग करवाया। इसके संशोधन और प्रूफरीडिंग में उन्हें डॉ० विनोद कुमार शर्मा, प्राध्यापक संस्कृत, बा० कृ० शर्मा, नवीन महाविद्यालय, शाजापुर ने विशेष सहयोग प्रदान किया। मुद्रण हेतु प्रकाशन व्यवस्था का दायित्व जैनालाजिकल रिसर्च फाउण्डेशन, चेनई और श्री गुजराती स्थानकवासी जैन संघ, चेन्नई ने ग्रहण किया। जिन विभिन्न दान-दाताओं द्वारा प्राप्त अर्थ सहयोग से प्रस्तुत: ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है उनके प्रति हम आभार प्रकट करते हैं क्योंकि अर्थ के अभाव में इसका इस रूप में प्रकाशन सम्भव नहीं था। मुद्रण सम्बन्धी व्यवस्था में डॉ० सागरमल जैन के अतिरिक्त हमें विशेष सहयोग मिला-डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय, डॉ० विजय कुमार जैन, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी का, हम उनके प्रति भी आभार प्रकट करते हैं। कम्प्यूटर टाइपसेटिंग के लिए हम श्री अजय श्रीवास्तव एवं श्री विनय भट्ट, शाजापुर और राजेश कम्प्यूटर्स, वाराणसी के आभारी हैं। साथ ही सत्वर एवं सुन्दर मुद्रण के लिए महावीर प्रेस, वाराणसी का आभार प्रकट करते हैं। प्राच्य विद्यापाठ, शाजापुर (म० प्र०) पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी रिसर्च फाउण्डेशन फार जैनोलाजी, चेन्नई श्री गुजराती श्वे० स्था० जैन-एसोसिएशन, चेन्नई Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001676
Book TitleJain Darshan ke Navtattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmashilashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size11 MB
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