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(१) निद्रा
(४) प्रचलाप्रचला (७) अचक्षुदर्शनावरणीय
(१) असदनीय
(१) मिथ्यात्वमोहनीय (३) अनन्तानुबन्धी मान (५) अनन्तानुबन्धी लोभ (७) अप्रत्याख्यानावरणीय मान (E) अप्रत्याख्यानावरणीय लोभ (११) प्रत्याख्यानावरणीय मान (१३) प्रत्याख्यानावरणीय लोभ
(१५) संज्वलन मान ( १७ ) संज्वलन लोभ
(१) हास्य ( ४ ) भय (७) स्त्रीवेद
(१) नरकगति ( ४ ) द्वीन्द्रिय
जैन दर्शन के नव तत्त्व
नौ दर्शनावरणीय ( ६ ) (२) निद्रानिद्रा
(५) स्त्यानगृद्धिनिद्रा (८) अवधिदर्शनावरणीय एक वेदनीय (१)
(७) ऋषभनाराच संहनन (१०) किलिका संहनन
छब्बीस मोहनीय (२६)
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नौ कषाय :
(२) रति
(५) शोक
(८) पुरुषवेद
(२) अनन्तानुबन्धी क्रोध (४) अनन्तानुबन्धी माया (६) अप्रत्याख्यानावरणीय क्रोध (८) अप्रत्याख्यानावरणीय माया (१०) प्रत्याख्यानावरणीय क्रोध (१२) प्रत्याख्यानावरणीय माया (१४) संज्वलन क्रोध (१६) संज्वलन माया
एक आयुष्य
(१) नरकायुष्य (३४) चौंतीस नामकर्म
(२) तिर्यंचगति (५) त्रीन्द्रिय
(१२) न्यग्रोधपरिमण्डल संस्थान (१३) सादि - संस्थान (१५) कुब्ज - संस्थान
(१८) अशुभ गन्ध
पाँच संहनन
(८) नाराच संहनन (११) छेट्ट (सेवार्त) संहनन
पाँच संस्थान एवं चार अप्रशस्तं
(२१) नरकानुपूर्वी, (२२) तिर्यचानुपूर्वी
(१६) हुण्डक - संस्थान (१६) अशुभ रस दो आनुपूर्वी
(३) प्रचला (६) चक्षुदर्शनावरणीय (६) केवलदर्शनावरणीय
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(३) अरति
(६) जुगुप्सा (६) नपुंसक वेद
(३) एकेन्द्रिय (६) चतुरिन्द्रिय
( ६ ) अर्धनाराच संहनन
वर्णादि
(१४) वामन - संस्थान (१७) अशुभ वर्ण (२०) अशुभ स्पर्श
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