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॥१५४॥
श्री ट ठ ड ढ ण दक्षिणकुक्षौ...................४५ ५ ५२ ॐ हीं श्री त थ द ध न वामकुक्षौ..
ડાબી કુખ ઉપર ॐ हीं अहं श्री प दक्षिणोरी.
જમણા સાથળમાં अहँ श्री फ वामोरौ...........................140 साथमा ॐ ह्रीं अर्ह श्री ब
गुह्ये ............................गुह्य स्थानमा
नाभिमंडले ....................नामि ५२ ॐ ही अहँ श्री म स्फिजोः इन्द्रियोभयपार्श्वयोः सा 6५२ तथा छन्द्रियन भन्ने ५४. ॐ ह्रीँ अर्ह श्री य शरीरस्थाने उदरे...............शरीर स्थान ने 6४२ ७५२ ॐ ह्रीं अर्ह श्री र ऊर्ध्वरोमाञ्चे............ स्थानमा रोमांय मेले मस्तान पणो 6५२ विधि ॐ ह्रीँ अहं श्री ल पृष्ठे ..................................पी6 6५२ ॐ ही अहँ श्री व ग्रीवाकक्षादिसन्धिषु.................6 dl sau (५) ३ सinitiles ॐ ही अहं श्रीं श जानुयुग्मयोः ................भन्ने 80नु (21) ७५२ ॐ ह्रीँ अर्ह श्री ष गुल्फमूलयोः ........................yer-u भूm (isel) 6५२
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ॐ हीं अह
अञ्जनशलाका
प्रति
क
विधि
१५४॥
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