________________
।१५३
ॐ ह्रीँ अहं श्रीं इ ई ॐ ही अहँ श्रीँ उ ऊ ॐ ह्रीँ अर्ह श्री ऋ ऋ ॐ ह्रीँ अहं श्री लु लु ॐ ही अर्ह श्री ए ऐ
ही अर्ह श्री ओ औ ॐ ह्रीँ अहं ॐ ह्रीं अर्ह श्री अः ॐ ही अर्ह श्री क ख ॐ हीं अहँ श्री ग घ
ही अहँ श्रीँ ङ ॐ ह्रीँ अहँ श्री च छ ज झ ॐही अर्ह श्री अ
दक्षिणेतरनेत्रयोः .............भन्ने सो ७५२ कर्णयोः ..........मने आनो ५२ नासापुटयोः .................पन्ने नNि G५२ गल्लयोः ......................मन्ने लो ५२ ऊर्ध्वाधोदंतपङ्क्तयोष्ठयोः ....७५२ नीये id densis ५२. स्कन्धयोः ...................मन्ने मा ५२ मस्तके.......... ............माथा 6५२ जिह्वाग्रे..........................मनास माग 6५२ मुखमण्डले....................९५ ५२ कण्ठे............................ॐ 6५२ हनुस्थाने.........................ढी 6५२ दक्षिणभुजे... ...........४भए हाथ 6५२ वामभुजे.........................14 1 6५२
के 4 4484
अञ्जन
शलाका प्रति
44
विधि
१५३।।
Jain Education Inational
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org