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वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर में प्रतिपादित संस्कारों का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन
मान्यता का प्रभाव यह हुआ कि स्मृतिकाल में उन्हीं कृत्यों का समावेश संस्कारों में किया गया, जिसका प्रयोजन व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं शरीर को संस्कृत करना था। स्मृतियाँ
स्मृतियों में मूलतः उन्हीं कृत्यों का समावेश संस्कारों में किया गया, जिनका अनुष्ठान व्यक्ति की शुद्धि के लिए किया जाता था। कुछ स्मृतियों में हमें संस्कारों के साथ पाकयज्ञों का भी उल्लेख मिलता है, यथा- गौतमस्मृति, निम्न तेरह स्मार्त या यथार्थ संस्कार हैं
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याज्ञवल्क्यस्मृति, आदि । मनु के अनुसार
(१) गर्भाधान-संस्कार
(२) पुंसवन संस्कार
(३) सीमन्तोन्नयन - संस्कार
(४) जातकर्म-संस्कार
(५) नामधेय - संस्कार
(६) निष्क्रमण - संस्कार
(७) अन्नप्राशन- संस्कार
(१) गर्भाधान-संस्कार
(२) पुंसवन संस्कार
(३) सीमन्त - संस्कार (४) जातकर्म - संस्कार
(५) नामक्रिया - संस्कार
याज्ञवल्क्यस्मृति में भी केशान्त को छोड़कर हमें इन्हीं संस्कारों का उल्लेख मिलता है। गौतमस्मृति में ४० संस्कारों का उल्लेख किया गया है। मनु एवं याज्ञवल्क्यस्मृति में वर्णित दैहिक - संस्कारों के साथ ही इनमें पाकयज्ञों की भी गणना की गई है। पूर्ववर्ती स्मृतियों में तो हमें संस्कारों की कोई निश्चित संख्या नहीं मिलती, किन्तु परवर्ती स्मृतियों में हमें प्रायः सोलह संस्कारों का ही उल्लेख मिलता है; जैसे व्यासस्मृति में हमें निम्न सोलह संस्कारों का उल्लेख मिलता है”
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(८) चूड़ाकर्म संस्कार
(६) उपनयन संस्कार
(१०) केशान्त - संस्कार
(११) समावर्तन - संस्कार
(१२) विवाह-संस्कार
(१३) श्मशान - संस्कार
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(६) कर्णवेद-संस्कार
(१०) व्रतादेश - संस्कार
(११) वेदारम्भ-संस्कार
(१२) केशान्त - संस्कार (१३) स्नान - संस्कार
देखेः हिन्दू संस्कार, डॉ. राजबली पाण्डेय, अध्याय-दो ( द्वितीय परिच्छेद), पृ. २४, चौखम्भा विद्याभवन, वाराणसी, पंचम संस्करण १६६५.
२१ देखेः हिन्दू संस्कार, डॉ. राजबली पाण्डेय, अध्याय - दो ( द्वितीय परिच्छेद), पृ. २४, चौखम्भा विद्याभवन, वाराणसी, पंचम संस्करण १६६५.
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