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साध्वी मोक्षरला श्री
(३६) हिरण्योत्कृष्टजन्मता-क्रिया (३६) चक्रलाभ-क्रिया (४०) मन्दरेन्द्राभिषेक-क्रिया (४०) दिग्विजय-क्रिया (४१) गुरुपूजोपलम्भन-क्रिया (४१) चक्राभिषेक-क्रिया (४२) यौवराज्य-क्रिया
(४२) साम्राज्य-क्रिया (४३) स्वराज्य-क्रिया
(४३) निष्क्रान्ति-क्रिया (४४) चक्रलाभ-क्रिया
(४४) योगसन्मह-क्रिया (४५) दिग्विजय-क्रिया
(४५) आर्हन्त्य-क्रिया (४६) चक्राभिषेक-क्रिया
(४६) तद्विहार-क्रिया (४७) साम्राज्य-क्रिया
(४७) योगत्याग-क्रिया (४८) निष्क्रान्ति-क्रिया
(४८) अग्रनिर्वृत्ति-क्रिया (४६) योगसन्मह-क्रिया (५०) आर्हन्त्य-क्रिया (५१) तद्विहार-क्रिया (५२) योगत्याग-क्रिया (५३) अग्रनिर्वृत्ति-क्रिया
___ आदिपुराण में गर्भान्वय नामक जिन ५३ क्रियाओं का उल्लेख हुआ है, वे सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा से कही गई हैं। ४८ दीक्षान्वय क्रियाओं का उल्लेख व्रतों का ग्रहण करने हेतु उत्सुक पुरुष के लिए निर्दिष्ट है" तथा अन्तिम ८ कन्वयः क्रियाओं का उल्लेख अल्पसंसारी मनुष्य के लिए किया गया है। वैदिक-परम्परा में संस्कारों की संख्या
वैदिक-परम्परा में संस्कारों की संख्या के सम्बन्ध में काफी मतभेद रहा है, जिनका अध्ययन निम्न बिन्दुओं के आधार पर किया जा रहा है
" आदिपुराण, जिनसेनाचार्यकृत, अनु.- डॉ. पन्नालाल जैन, पर्व- उनचालीसवाँ, पृ.-२६६, भारतीय ज्ञानपीठ,
सातवाँ संस्करण २०००. २ आदिपुराण, जिनसेनाचार्यकृत, अनु.- डॉ. पन्नालाल जैन, पर्व- उनचालीसवाँ, पृ.-२७७, भारतीय ज्ञानपीठ,
सातवाँ संस्करण २०००. १३ धर्मशास्त्र का इतिहास (प्रथम भाग), पांडुरंग वामन काणे, अध्याय-६, पृ.-१७७, उत्तरप्रदेश हिन्दीसंस्थान,
लखनऊ, तृतीय संस्करण १९८०.
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