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________________ साध्वी मोक्षरत्ना श्री प्रकारों का विवेचन किया गया है। उसके अनुसार गर्भान्वय-क्रियाएँ-५३, दीक्षान्वय-क्रियाएँ-४८, कन्वय-क्रियाएँ-७ हैं। इस प्रकार उसमें कुल मिलाकर १०८ संस्कारों की चर्चा है। वैदिक-परम्परा में संस्कारों के सम्बन्ध में बहुत भिन्नता है। कोई इन संस्कारों की संख्या ४० (चालीस) बताता है, तो कोई १८ (अठारह)। वैदिक-परम्परा में इन संस्कारों की चर्चा गृह्यसूत्र, धर्मसूत्र, स्मृतियों और पुराणों, आदि में मिलती है, किन्तु संख्या को लेकर कहीं कोई मतैक्य नहीं है। गृह्यसूत्रों में विवाह से लेकर समावर्तन तक के संस्कारों का उल्लेख है। उसमें आश्वलायन-गृह्यसूत्र में ११ संस्कारों का उल्लेख है, पारस्कर गृह्यसूत्र में १३, बोधायन और वाराह-गृह्यसूत्रों में भी तेरह-तेरह संस्कारों का उल्लेख है। धर्मसूत्रों में, गौतमधर्मसूत्र में चालीस संस्कारों का उल्लेख है। स्मृतियों में, मनुस्मृति में १३, याज्ञवल्क्यस्मृति में १२ और गौतमस्मृति में ४० संस्कारों का उल्लेख है, किन्तु परवर्ती-साहित्य में सोलह संस्कारों का उल्लेख ही विशेष रूप से मिलता है। दयानन्द सरस्वती की कृति 'संस्कारविधि' एवं पं. भीमसेन शर्मा की षोडशसंस्कार-विधि में केवल सोलह संस्कारों का ही उल्लेख है। संस्कार से सम्बन्धित जैन-साहित्य : ___ संस्कार का प्रचलन आदिकाल से ही रहा होगा- ऐसा हम मान सकते हैं, क्योंकि कल्पसूत्र में आदिनाथ भगवान् के चरित्र में विवाह-संस्कार, प्रव्रज्या, आदि कुछ संस्कारों का उल्लेख मिलता है, पर इनकी विधि का उसमें कोई उल्लेख नहीं किया गया है। संस्कारों से सम्बन्धित पूर्ववर्ती साहित्य वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। १५ वीं शताब्दी में वर्धमानसूरिकृत “आचारदिनकर" नामक ग्रन्थ में सर्वप्रथम सम्पूर्णतः ४० संस्कारों की चर्चा की गईं इससे पूर्व हरिभद्रसूरिकृत "पंचाशक-प्रकरण" एवं पादलिप्ताचार्यकृत “निर्वाणकलिका" में भी संस्कारों की चर्चा मिलती है, लेकिन उनमें प्रायः यति के संस्कारों का ही उल्लेख है, गृहस्थ के संस्कारों की प्रायः उसमें कोई चर्चा नहीं मिलती है। इसी प्रकार मध्यकाल के संस्कारों से सम्बन्धित जिनप्रभसूरिकृत “विधिमार्गप्रपा", तिलकाचार्य विरचित "सामाचारी", श्रीमद् श्रीचन्द्राचार्य संकलित “सुबोधा-सामाचारी" आदि ग्रन्थ प्राप्त होते हैं। इनमें भी प्रायः यतियों के संस्कार एवं सामान्य संस्कारों का ही वर्णन मिलता है; गृहस्थ के मात्र व्रतारोपण-संस्कारों की चर्चा इन ग्रन्थों में मिलती है, शेष संस्कारों की कोई चर्चा नहीं है। . ऐसा प्रतीत होता है कि श्वेताम्बर-परम्परा की अपेक्षा दिगम्बर-परम्परा .. में संस्कार से सम्बन्धित साहित्य की रचना पहले हुई होगी। सर्वप्रथम संस्कारों से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001671
Book TitleJain Sanskar Evam Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Vidhi, & Culture
File Size24 MB
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