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________________ 104 साध्वी मोक्षरला श्री प्रतिमोद्वहन की विधि - इस विधि का उल्लेख हमें श्वेताम्बर-परम्परा के ग्रन्थों में ही मिलता है। दिगम्बर एवं वैदिक-परम्परा में हमें इस विधि का उल्लेख नहीं मिलता है। साध्वियों को दीक्षा प्रदान करने की विधि - वर्धमानसरि ने साध्वी को दीक्षा प्रदान करने की विधि का पृथक् से उल्लेख करके इसे एक स्वतंत्र विधान स्वीकार किया है। दिगम्बर-परम्परा में यद्यपि आर्यिका-दीक्षा का उल्लेख मिलता है, किन्तु वहाँ इसे एक स्वतंत्र संस्कार के रूप में विवेचित नहीं किया गया है। वैदिक-परम्परा स्त्रीदीक्षा को पाप समझती है, अतः वहाँ भी इसे पृथक् संस्कार के रूप में नहीं माना है। प्रवर्तिनी-पदस्थापन-विधि - __ आचारदिनकर में इस पद पर स्थापनविधि को भी स्वतंत्र संस्कार के रूप में उल्लेखित किया गया है। दिगम्बर एवं वैदिक- इन दोनों ही परम्परा में हमें इस संस्कार की कोई चर्चा नहीं मिलती है और जहाँ तक मुझे ज्ञात है, इन दोनों परम्पराओं में इस पद की भी कोई व्यवस्था नहीं है। यद्यपि दिगम्बर-परम्परा में मान्य मूलाचार नामक ग्रन्थ में साध्वियों के गणधर का उल्लेख है। महत्तरा-पदस्थापन-विधि - _ इस विधि में वर्धमानसूरि ने महत्तरापद के योग्य साध्वी के लक्षणों का निरूपण करके महत्तरा-पदस्थापन-विधि का उल्लेख किया है। दिगम्बर-परम्परा में इस विधि को संस्कार के रूप में अभिहित नहीं किया गया है, यद्यपि दिगम्बर-परम्परा में हमें महत्तरा-पद की व्यवस्था साध्वियों के आचार्य के रूप में देखने को मिलती है। वैदिक-परम्परा में हमें इस पद की व्यवस्था देखने को नहीं मिलती है, अतः वहाँ इसे संस्कार के रूप में स्वीकार करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है। अहोरात्रिचर्या-विधि - इस प्रकरण में साधु-साध्वियों की दिन-रात की चर्या का उल्लेख करते हुए संयमोपकरणों का विस्तृत विवेचन किया गया है।६६ संयमनिर्वाह हेतु उपयोगी होने के कारण वर्धमानसूरि ने इसे भी मुनिजीवन के संस्कार के रूप में माना है, १६६ आचारदिनकर, वर्धमानसूरिकृत, उदय-तीसवाँ, पृ.-१२१, निर्णयसागर मुद्रालय, बॉम्बे, प्रथम संस्करण १६२२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001671
Book TitleJain Sanskar Evam Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Vidhi, & Culture
File Size24 MB
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