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________________ प्रेरणात्मक एव वाच्य परि०] भाग २ : अनुवाद [ १५७ अभ्यास (क) प्राकृत में अनुवाद कीजिए-नर्तक ने नर्तकी को नाचना सिखाया। अध्यापक ने बालकों से पढ़वाया । पिता पुत्र से पत्र लिखवाता है। मैं उसके लिए घुमाता हूँ। तुम उसे सुलाओगे । वह मुझे जगायेगा। रीता पाठशाला में पत्र लिखवायेगी। तुम उसे नमस्कार कराओ। माता ने बालक को स्नान करावाया। भाई बहिन को नोकर से ससुराल भिजवाता है। (ख) हिन्दी में अनुवाद कीजिए-तुम्हे छत्ता पढावेइत्था । अम्हे तुमं हसाविहामो । सो बालाओ सयावउ ( सुलाना ) । सा तुमं णच्चावी । तुमं तेण जलं पिवावेसि । तुम्हे तं ण हसावह । गुरु सीसं पणामावइ। महावीरो लोगे धम्म सुणावइ ।। सेट्ठी सरीरम्मि तेल्लं चोप्पडावइ । निवो कुमारं हथिम्मि चडाविहिइ (चढ़ाना) । गोयमो ताए लेहं लिहावसी । ते मए पढावेंति । पाठ १२ वाच्य-परिवर्तन उदाहरण वाक्य [ ईअ, ईय और इज्ज प्रत्ययों का प्रयोग ]१. (क) मैं गाँव जाता हूँ अहं गामं गच्छामि ( कर्तृवाच्च ) । (ख) मेरे द्वारा गाँव को जाया जाता है-मए गामो गच्छीअइ (कर्मवाच्य)। २. (क) वह घड़ा बनाता है-सो घडं करइ ( कर्तृवाच्च ) (ख) उसके द्वारा घड़ा बनाया जाता है-तेण घडो करीअइ ( कर्म० )। (ग) मेरे द्वारा घड़ा बनाया गया = मए घडो करीअईअ ( कर्म० )। ३. (क) राजा तुम्हें देखता है-निवो तुमं पस्सइ ( कर्तृवाच्य )। (ख) राजा के द्वारा तुम देखे जाते हो=निवेण तुमं पासीअसि ( कर्म० )। (ग) राजा के द्वारा तुम देखे गये निवेण तुमं पासीअईअ पासिज्जी वा (कर्म)। (घ) राजा के द्वारा तुम देखे जाओगे - निवेण तुम पासिहिसि (कर्म०)। ४. (क) मैं तुमसे पूछता हूँ --अहं तुमं पुच्छामि (कर्तृ०)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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