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प्राकृत-दीपिका
[ नवम पाठ
अभ्यास--
(क) प्राकृत में अनुवाद कीजिए--उसे ऐसा वचन नहीं बोलना चाहिए । भाषः वज्ञान के छात्रों को प्राकृत अवश्य पढ़ना चाहिए। यह बात अब छिपाने के योग्य नहीं है। हमें निर्बलों की सदा रक्षा करना चाहिए। हमेशा सत्कर्म करना चाहिए। उन्हें अपना पाठ पढ़ना चाहिए । गुरु के चरण पूजनीय हैं । तृण की भी उपेक्षा नहीं करना चाहिए । हमें देश की रक्षा करना चाहिए। तुम्हें भोजन करना चाहिए। उन्हें समय से खेलना और पढ़ना चाहिए। आप सबको प्रातः ईश्वर की वन्दना अवश्य करना चाहिए। किसी से घृणा नहीं करना चाहिए।
(ख) हिन्दी में अनुवाद कीजिए--तुमए तत्थ णच्चिअव्वं । इमेहि इदं कज्ज करणीअं । काहि दव्वं घेत्तव्वं ? सीसेण सया पण्हं पुच्छिअव्वं । ताए इदं दुकावं सुणणीअं । बालएहि अत्थ चिट्ठिअव्वं । ईसरो तेण थुणणीअं । साहुणा इदं अत्थं मुणणिज्ज (जानना)। किवाए कहिज्जउ, अहुगा कि मए कुणेअव्वं । अम्हेहिं भरयदेसस्त इतिहासो जाणेअव्वो। लोहो कयावि ण करणीओ। गुरुअरो एसो भारो मए कहं वोढव्यो।
पाठ ९ पर्वकालिक वाक्य ( कर या करके ) उदाहरण वाक्य [ तूण, तु आदि भूतकालिक कृत्-प्रत्ययों का प्रयोग ]-- १. मैं आपको प्राप्तकर बहुत प्रसन्न हुआ हूँ = अहं भवन्तं लहिऊण बहु
पसन्नो अम्हि। २ हम पुस्तकें पढ़कर चलेंगे = अम्हे पोत्थिआई पढिऊण गच्छिहिमो। ३. तुम भोजन करके सोओगे = तुम्हे भुजिऊण सायहित्था । ४. वह विद्यालय जाकर लिखती है-सा विज्जालयं गच्छिऊग लिहइ । ५. उन्होने पहाड़ पर चढ़कर ईश्वर को नमस्कार किया = ते पव्वयम्मि
आरोहिऊण ईसरस्स नमी।
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