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________________ समान्य वर्तमान काल ] भाग २ : अनुवाद [१४१ चिन्तन करता है (चित)। वे दोनों नमस्कार करती हैं (नम)। भैरवानन्द दौड़ता है (धाव) । तुम पीते हो (पिव)। स्त्री नाचती है (णच्च)। मैं जानता हूँ (जाण)। तम सुनती हो (सुण) । तुम दोनों लिखती हो (लिह)। हम दोनों सेवा करते हैं (सेव)। वह देखती है (पास)। वे दोनों भोजन करती हैं (भज)। हम सब हँसते हैं (हस) । तुम सब चलते हो (च) । बादल गर्जता है (गज्ज)। (ख) हिन्दी में अनुवाद कीजिए-सुहाणि संति । धूआओ पढंति । मेहा गज्जति । मोरा णच्चति । मालाओ सोहंति । सिसू खेलई । ताओ धावंति । सो जयइ । अहं गामि । ते भुजंति । तुमं पासिसि । तुम्हे पासित्था । तुमं लिहसि । ते सयंति । सा भमइ । बाला कुद्दति । चन्दो वड्ढ़इ । सो कुज्झइ। रीआ भमइ । सीया पीसइ । गुरु वोल्लइ । चोरो चोरेइ । बालओ खाअइ । मेहो वरसइ । तुमं धावसि । अहं हसामि। . पाठ २ सामान्य वर्तमान काल उदाहरण वाक्य [ विभक्तियों का सामान्य प्रयोग ] १. छात्र प्रश्न पूछता है-छत्तो पण्डं पुच्छइ । २. गुरु छात्रों को उपदेश देता है-गुरु छता उवदिसइ । ३. माता बालक को पालती है-माआ बालअं पालइ । ४. राजा वीरों के लिए द्रव्य देता है-निवो (भूवई) वीराणं दव्वं दाइ । ५. पिता पुत्र के साथ जाता है-पिऊ पुत्तेण सह गच्छइ । ६. पुरुषों के द्वारा कार्य होता है पुरिसेहिं कज्ज होइ । ७. बालक गेंद से खेलता है-बालो कंदुओण खेलइ । ८. वह बालक से पुस्तक मांगता है-सो बालअत्तो पोत्थअं मग्गइ। ९. मूर्ख विद्वान् से डरता है-मुक्खो सुधित्तो बीहइ । १०. साड़ी का रंग पीला है-साडीआ रंग पीअं अस्थि । ११. महावीर का घर हैं-महावीरस्स घरं अस्थि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001669
Book TitlePrakrit Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size13 MB
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