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शब्दरूप]
भाग १ : व्याकरण
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पिअरं
षष्ठीवत्
(७) पिउ, पिअर (पितृ-पिता)' (८) राय ( राजन =राजा) (संस्कृत में ऋकारान्त)
( संस्कृत में नकारान्त ) एकवचन बहुवचन
एकवचन बहुवचन पिअसे, पिआ पिअरा, पिउणो प्र० राया
रायाणो,राइणो पिअरे, पिउणो द्वि० रायं,राइ(या)णं पिअरेण, पिउणा पिअरेहि, पिऊहि तृ. राएण,राइणा,रण्णा राएहि, राईहिं
षष्ठीवत् च० षष्ठीवत् षष्ठीवत् पिअराओ, पिउणो, पिअराहितो, पं० रण्णो, राइणो, रायाहिंतो,राईपिउरत्तो पिअरासुतो
हितो, -सुतो पिअरस्स, पिउणो, पिअराणं, पिऊणं ष० रायस्स, राइणो, रायाणं, राईणं
रण्णो पिअरम्मि, रंसि पिअरेसु, पिऊसु स० रायम्मि,राइम्मि राएसु, राईसु पिउम्मि; पिअरि पिअ, पिपर पिअरा, पिउणो सं० राया, राय रायाणो,राइणो
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रायत्तो
__ पिउस्स
पहु (प्रभु - स्वामी), रिउ, सत्तु (रिपु- शत्रु), फरसु (कुल्हाड़ा), उउ (ऋतु), करेणु (हाथी), सेउ (सेतु), मेरु, बन्धु, पवासु (प्रवासिन), हिन्दु (हिन्दू), गुरु, गउ (गो), तन्तु (धागा), चक्खु (चक्षु), विण्हु (विष्णु), बाहु (भुजा), केउ (केतु =ध्वजा), सवण्णु (सर्वज्ञ), धम्मण्णु (धर्मज्ञ), भिक्खु (भिक्षु); पसु (पशु), तर (वृक्ष), महु (मधु), इंदधणु (इन्द्रधनुष), दिग्घाउ (दीर्घायु), विभु (प्रभु), विज्जु ( विद्युत् ), जन्तु ( प्राणी) आदि । ऊकारान्त सयंभू ( स्वयम्भू ) आदि शब्दों के भी रूप साह एवं वाउ के समान बनेंगे। प्राकृत में सयंभू आदि शब्द वस्तुतः उकारान्त ही होते हैं। १. इसी प्रकार अन्य संस्कृत ऋकारान्त पु० शब्दों के रूप चलेंगे-कत्तार कत्तु
(कर्तृ = कर्ता), भत्तार भत्तर भत्तु (भर्तृ पति), भायर भाउ (भ्रात-भाई) दायार दाउ (दातृ-दाता) आदि ।
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