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________________ प्रस्तावना इस युग के ग्रन्थ मुख्यत: पुराने ग्रन्थों के विचारों का संरक्षण करने के उद्देश से लिखे गये हैं। भारत में मुस्लिम सत्ता के विस्तार से धार्मिकदार्शनिक साहित्य के निर्माण पर मूलगामी परिणाम हुआ। राजसभाओं में धार्मिक-तार्किक विवाद होना अब संभव नही रहा, साथही विद्वत्सभाओं का आयोजन भी कठिन हुआ। फलत: इस युग के लेखकों के विचारों में-तों में नवीनता का अभाव प्रतीत होता है। उन के ग्रन्थ विषय विशेष के प्रतिपादन की अपेक्षा लेखक के पाण्डित्य-प्रदर्शन का साधन थे। साथ ही इस युग में भक्तिवादी मतों का जो प्रभाव बढा उस के कारण तर्ककर्कश विचारों का अध्ययन बहुत कम हुआ। पूर्वयुग में गुजरात तथा कर्नाटक में जैन समाज का जो प्रभाव था वह इस युग में बहुत कम हो गया । फलतः साधारण लोगों के लिए रुचिकर कथाउपदेशादि ग्रन्थों की रचना ही इस युग में अधिक हुई। इस तरह इन तीन युगों में तार्किक साहित्य का विभाजन है। यह विभाजन एक ओर सामाजिक पार्श्वभमि पर आधारित है। साथ ही साहित्य के अन्य अंगों की तुलना में तार्किक साहित्य का महत्त्व कैसा रहा यह भी उस से स्पष्ट होता है। __ . ९९. उपसंहार-अन्त में हमारे प्रस्तुत अध्ययन का सारांश हम संख्याओं के रूप में उपस्थित करते हैं। इस अध्ययन में ९४ लेखकों की १६८ रचनाओं का उल्लेख है । इन में ३० रचनाएं अनुपलब्ध हैं। उपलब्ध किन्तु अप्रकाशित रचनाओं की संख्या ५८ है । स्वतन्त्र रूप से लिखे हुए ग्रन्थ १२३ हैं तथा टीकात्मक ग्रन्थों की संख्या ४५ है। इन में १६ टीकाएं जैनेतर ग्रन्थों पर हैं। जो ८० ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं उन के ज्ञात प्रकाशनों को सम्मिलित संख्या १२३ है । उपर्युक्त विवरण में उन्हीं आचार्यों का उल्लेख है जिन के उपलब्ध या अनुपलब्ध ग्रन्थों का पता चलता है । शिलालेखों तथा अन्यान्य ग्रंथों के वर्णनों में इन के अतिरिक्त अन्य कई आचार्यों का महान तार्किक और वादी के रूप में उल्लेख मिलता है। मल्लिप्रेणप्रशस्ति में उल्लिखित महेश्वर, विमलचन्द्र, परवादिमल्ल, पद्मनाभ आदि पण्डित अथवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001661
Book TitleVishwatattvaprakash
Original Sutra AuthorBhavsen Traivaidya
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherGulabchand Hirachand Doshi
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Literature
File Size9 MB
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