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________________ ११८ विश्वतत्त्वप्रकाशः ___ पद्मसुंदर का तार्किक ग्रंथ प्रमाणसुंदर सं. १६३२ में लिखा गया था और अभी अप्रकाशित है । प्रमाणविषयक चर्चा का इस में वर्णन होगा ऐसा नाम से प्रतीत होता है। पद्मसुन्दर के अन्य ग्रंथ ये हैं-भविष्यदत्तचरित ( सं. १६१४ ), ‘रायमल्लाभ्युदय (सं. १६१५), पार्श्वनाथचरित ( सं. १६१५), सुन्दर-- प्रकाक्षशद्वार्णव, अकबरशाहिशृंगारदपंण (सं. १६२६), जम्बूचरित तथा हायनसुन्दर'। ८०. विजयविमल-ये तपागच्छ के आनन्द विमल सूरि के शिष्य थे तथा वानरर्षि इस उपनाम से प्रसिद्ध थे । इन की ज्ञात तिथियां सन १५६७ से १५७८ तक हैं । मल्लिषेण की स्याद्वादमंजरी पर इन्हों ने टीका लिखी है। इन की अन्य रचनाएं भी विवरणात्मक ही हैं तथा निम्नलिखित ग्रन्थों पर लिखी हैं - गच्छाचारपयन्ना, तन्दुलवेयालिय, साधारणजिनस्तव, बन्धोदयसत्ता, बन्धहेतृदयत्रिभंगी,' अनिटका रिका तथा भावप्रकरण । . ८१. राजमल्ल-काष्टासंघ-माथुर गच्छ के भट्टारक हेमचन्द्र के आम्नाय में पंडित राजमल्ल सम्मिलित थे। आगरा के साहु टोडर की प्रार्थना पर तथा उन के द्वारा मथुरा में जैन स्तपों के जीर्णोद्धार के अवसर पर सं. १६३१ (सन १५७५) राजमल्ल ने जम्बस्वामिचरित काव्य लिखा । वैराट नगर में काष्ठासंघ-माथुरगच्छ के भट्टारक क्षेमकीर्ति के आम्नाय में साहु फामन के आग्रह से सं. १६४१ (सन १५८५) उन्हों ने लाटीसंहिता (श्रावकाचार विषयक ग्रंथ ) लिखी । अध्यात्मकमलमार्तड तथा पंचाध्यायी ये उन के अन्य दो ग्रंथ हैं३ । इन में पंचाध्यायी का ही प्रस्तुत विषय की दृष्टी से परिचय आवश्यक है। १) अम्नाय में कहने का तात्पर्य यह है कि हेमचंद्र राजमल्ल के कोई ५० वर्ष पहले हो चुके थे। २) क्षेमकीर्ति उपर्युक्त हेमचन्द्र के चौथे पहधर थे; हेमचन्द्र-पमनन्दियशःकीर्ति-क्षेमकीर्ति ऐसी यह परम्परा थी । विस्तृत विवरण के लिए देखिए भट्टारक संप्रदाय पृ. २४३ । ३) पं. मुख्तार ने पिंगलछंद नामक ग्रन्थ भी इन्ही राजमल का माना है ( देखिए-अध्यात्मकमलमार्तण्ड की प्रस्तावना)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001661
Book TitleVishwatattvaprakash
Original Sutra AuthorBhavsen Traivaidya
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherGulabchand Hirachand Doshi
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Literature
File Size9 MB
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