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________________ [4] (27) उपदेशछाया आत्मसिद्धि : __ श्रीमद् राजचंद्रप्रणीत / अप्राप्य / (28) श्रीमद् राजचन्द्र : _ श्रीमद्के पत्रों व रचनाओंका अपूर्व संग्रह / तत्त्वज्ञानपूर्ण महान् ग्रन्थ है / म० गांधीजी की महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना। ___अधिक मूल्यके ग्रंथ मंगानेवालोंको कमिशन दिया जायेगा। इसके लिए वे हमसे पत्रव्यवहार करें। श्रीमद् राजचंद्र आश्रमकी ओरसे प्रकाशित गुजराती ग्रन्थ 1. श्रीमद् राजचन्द्र 2. अध्यात्म राजचन्द्र 3. श्रीसमयसार ( संक्षिप्त ) 4. समाधि सोपान ( रत्नकरण्ड श्रावकाचारके विशिष्ट स्थलोंका अनुवाद ) 5. भावनाबोध-मोक्षमाला 6. परमात्मप्रकाश 7. तत्त्वज्ञान तरंगिणी 8. धर्मामृत 9. स्वाध्याय सुधा 10. सहजसुखसाधन 11. तत्त्वज्ञान 12. श्रीसद्गुरुप्रसाद 13. श्रीमद् राजचन्द्र जीवनकला 14. सुबोध संग्रह 15. नित्यनियमादि पाठ 16. पूजा संचय 17. आठ दृष्टिनी सज्झाय 18. आलोचनादि पद-संग्रह 19. पत्रशतक 20. चैत्यवंदन चोवीसी 21. नित्यक्रम 22. श्रीमद् राजचंद्र जन्मशताब्दी महोत्सव-स्मरणांजलि 23. श्रीमद् लघुराज स्वामि (प्रभुश्री ) उपदेशामृत 24. आत्मसिद्धि शास्त्र 25. नित्यनियमादि पाठ (हिन्दी) 23. Shrimad Rajchandra, A Great Seer 27. Mokshamala 28. सुवर्णमहोत्सव-आश्रम परिचय 29. ज्ञानमंजरी 30. अनित्यपंचाशत् तथा हृदय प्रदीप 31 अध्यात्मरस-तरंग 32. आत्मानुशासन / __ आश्रमके गुजराती प्रकाशनोंका पृथक् सूचीपत्र मंगाइये / सभी ग्रंथों पर डाकखर्च अलग रहेगा। प्राप्तिस्थान : (1) श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, स्टेशन-अगास __पो. बोरिया, वाया-आणंद [ गुजरात ] (2) परमश्रुतप्रभावक-मंडल [ श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला ] चौकसो चेम्बर, खाराकुंवा, जौहरी बाजार, बम्बई-२ पल्लिका प्रिन्टरी, वलासण, आणंद होकर, जिला खेड़ा [गुजरात राज्य] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001655
Book TitleDravyanuyogatarkana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhojkavi
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1977
Total Pages226
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, Religion, H000, & H020
File Size19 MB
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