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कारिका १२] ईश्वर-परीक्षा मानास्वभावप्रसङ्गः, नानाकायादिकार्यकरणात् । न होकप्राण्युपभोग्यकायादिनिमित्तेनैकेन स्वभावेनेश्वरेच्छाऽभिव्यक्ता नानाप्राण्युपभोग्यकायादिकार्यकरणसमर्था, अतिप्रसङ्गात् । यदि पुनस्तदृश एवैकस्वभावो नानाप्राण्यदृष्टनिमित्तो येन नानाप्राण्युपभोग्यकायादिकार्याणां नानाप्रकाराणामीश्वरेच्छा निमित्तकारणं भवतीति मतम, तदा न किञ्चिदनेकस्वभावं वस्तु सिद्ध्येत् । विचित्रकार्यकरणैकस्वभावादेव भावाद्विचित्रकार्योत्पत्तिघटनात् । तथा च घटादिरपि रूपरसगन्धस्पर्शानेकस्वभावाभावेऽपि रूपादिज्ञानमनेक कार्यं कुर्वोत । शक्यं हि वक्तु तादृगेकस्वभावो घटादेयेन चक्षुराद्यनेकसामग्रीसन्निधानादनेकरूपादिज्ञानजनननिमित्तं भवेदिति कुतः पदार्थनानात्वव्यवस्था ? प्रत्ययनानात्वस्यापि पदार्थकत्वेऽपि भावाविरोधात् । न हि द्रव्यमेकः पदार्थो नानागुणादिप्रत्ययविशेषजननकस्वहोती है तो उसे नानास्वभाव मानना पड़ेगा। क्योंकि उसके द्वारा नानाशरीरादिक कार्य किये जाते हैं। प्रकट है कि एक प्राणीके उपभोगमें आनेवाले शरीरादिकोंमें कारणीभत एकस्वभावसे अभिव्यक्त हई ईश्वरेच्छा नानाप्राणियोंके उपभोगमें आनेवाले शरीरादिक कार्योंके करने में समर्थ नहीं है, अन्यथा अतिप्रसंग दोष आयेगा अर्थात् कोई नियमित व्यवस्था नहीं बन सकेगी। यदि कहा जाय कि वैसा एक स्वभाव नाना प्राणियोंके अदष्टसे ईश्वरेच्छाके होता है जिससे ईश्वरेच्छा नाना प्राणियोंके उपभोगमें आनेवाले नाना प्रकारके शरीरादिक कार्यों में निमित्तकारण हो जाती है तो फिर कोई भी वस्तु अनेकस्वभाववाली सिद्ध नहीं हो सकेगो, अनेक प्रकारके कार्योको करनेवाले एकस्वभाववान् पदार्थसे हो अनेक तरहके कार्य उत्पन्न हो जायेंगे। और इसलिये घटादिक भी रूप, रस, गन्ध, स्पर्श आदि अनेक स्वभावोंके बिना भी रूपादिक अनेक ज्ञानोंको उत्पन्न कर देंगे। हम कह सकते हैं कि 'घटादिकोंके वैसा एक स्वभाव है जिससे वे चक्षुरिन्द्रिय आदि सामग्री मिलनेसे अनेक रूपादिज्ञानोंको उत्पन्न करने में निमित्तकारण हो जाते हैं।' इस तरह नाना पदार्थ कैसे व्यवस्थित हो सकेंगे ? अर्थात् नहीं हो सकते हैं। तात्पर्य यह कि यदि उपर्युक्त प्रकारसे स्वभाववाद स्वीकार किया जाय तो पदार्थ नाना नहीं बन सकेंगे, नाना स्वभावोंसे युक्त एक ही पदार्थ मानना पर्याप्त है । जो नाना प्रत्यय होते हैं वे एक पदार्थके मानने में भी अविरुद्ध हैं-बन जाते हैं। निःसन्देह गुणकर्मादि अनेक प्रत्ययविशेषोंको उत्पन्न करनेवाले एकस्वभाव
1. द 'मेकपदार्थो' ।
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