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________________ सम्पादकीय वीरसेवामन्दिर के संस्थापक और अधिष्ठाता माननीय पण्डित जुगलकिशोरजी मुख्तारका विचार जब आप्तपरीक्षा सटीकका हिन्दी अनुवादादि कराकर उसे संस्थासे प्रकाशित करनेका हुआ और उन्होंने जून सन् १९४५ में उसका सब कार्यभार मेरे सुपुर्द किया तो मुझे उससे बड़ी प्रसन्नता हुई क्योंकि मेरा खुदका विचार भी बहुत अर्सेसे उस कार्यकी आवश्यकताका अनुभव करते हुए उसे करनेका हो रहा था और पण्डित परमानन्दजी शास्त्री तथा जैनदर्शनाचार्य पण्डित अमृतलालजी जैसे कुछ विद्वान् मित्रोंकी प्रेरणा भी उसके लिये मिल रही थी, परन्तु अवकाश तथा समयादिके अभाव में मैं उसे कर नहीं पाता था । इधर आचार्य विद्यानन्दके प्रकाशित दूसरे भी ग्रन्थोंके अशुद्ध संस्करणों को होता था और चाहता था कि उनमें से किसीको भी अवसर मिले | प्रस्तुत संस्करण इसी सब आयोजनादिका फलद्रूप परिणाम है । उसे आज उपस्थित करते हुए विशेष हर्ष होता है । संशोधन और उसमें उपयुक्त प्रतियाँ देखकर बड़ा दुःख सेवाका मुझे कुछ ग्रन्थका संशोधन तथा सम्पादन दो मुद्रित और तीन अमुद्रित ( हस्तलिखित ) प्रतियों के आधारसे किया गया है । अशुद्धियाँ, पाठ-भेद और त्रुटित पाठ यद्यपि इन मुद्रित तथा अमुद्रित दोनों तरह की प्रतियों में पाये जाते हैं तथापि मुद्रितों की अपेक्षा अमुद्रितों में वे कम हैं और इसलिये संशोधन में अमुद्रित प्रतियोंसे ज्यादा और अच्छी सहायता मिली है । इनमें देहलीकी प्रति सबसे प्राचीन है और अनेक स्थलोंमें अच्छे पाठोंको, लिये 'हुए है, अतः सम्पादन में उसे आदर्श एवं मुख्य प्रति माना है । : इन मुद्रित और अमुद्रित प्रतियोंका परिचय इस प्रकार है मुद्रित प्रथम संस्करण - आप्तपरीक्षा सटीकका पहला संस्करण वी०नि० सं० २४३६ ( ई० सन् १९४३ ) में पं० पन्नालालजी वाकलीवालने १. जिस मुद्रित अष्टसहस्रीको शुद्ध संस्करण पुण्यविजयजी के सौजन्यसे प्राप्त वि० सं० प्रतिसे मिलान करनेपर काफी अशुद्ध और संशोधन तथा त्रुटित पाठ वीरसेवामन्दिरकी समझा जाता है वह भी मुनि १४५४ की लिखी हुई एक प्राचीन त्रुटित जान पड़ी है । उसके मुद्रित प्रतिपर ले लिये गये हैं, अवसर मिलते ही उस पर भी कार्य करनेका विचार है । सं० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001613
Book TitleAptapariksha
Original Sutra AuthorVidyanandacharya
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages476
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Epistemology
File Size9 MB
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