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समर्पण स्वर्गीय पूज्य पिता पण्डित हजारीलालजीको,
जिनका मुझे मृदुल स्नेह प्राप्त रहा और जिन्हें मेरी प्रगतिकी निरन्तर आकांक्षा रही तथा मेरी ६ वर्षकी अवस्था में ही जिनका स्वर्गवास हो गया।
-दरबारीलाल कोठिया
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