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________________ अर्थसंदृष्टि अधिकार ५६१ sai रचनाविषै लोकनिकी संदृष्टि पूर्ववत् जानती । इहां मध्यम खंड रचना नाही करी है अर उभय द्रव्यविशेष स्तोक है । नीचें द्रव्यका प्रमाण लिख्या है । ऐसें इहां एक गोपुच्छ भया । बहुरि मध्यम खंड द्रव्यका एक एक खंड समपट्टिकारूप स्थापना । बहुरि द्वितीय समयसंबंधी कृष्टि द्रव्यका विशेषका चय धनरूप द्रव्य सर्व उभय विशेषका द्रव्यविर्षे । असंख्यातका गुणकार उपरि एक अधिक था ताकौं जुदा कीएं ऐसा -व । १२ । ३ । ४ । ४ ख ख 1 इहां एक चयका द्रव्य ऐसा व । १२ । ७१ १६ -४ ओ । प । ४ । 2 ख अर एक एक ख । २ चय घाटि क्रमकरि अंतविषै एक चयमात्र दीया प्रथम कृष्टिविषै दीया द्रव्य द्रव्य हो है । ऐसें इहां द्वितीय समयसंबंधी कृष्टि द्रव्य ऐसा व । १२ । 3 ताविषै अधस्तन 1 ओ प a Jain Education International प्रथमकृष्टि शीर्ष द्रव्य अधस्तन कृष्टि द्रव्य भर उभय द्रव्यका असंख्यातका गुणकारके ऊपर एक अधिक था ताका द्रव्य इन तीनोंके घटावनेके अर्थ आगें ऐसो = संदृष्टि कीएं ऐसा - । व् । १२ । a = । याकौं पूर्वापूर्व कृष्टिमात्र गच्छका अर एक घाटि गच्छका आधाकरि हीन ओ प a 1 च १२० = १६ १० । याकौं पूर्वापूर्व कृष्टि प्रमाणकरि गुणें दो गुणहानिका भाग दीएं चय होइ ताकों दोगुणहानिकरि गुणें प्रथम कृष्टिका द्रव्य इस गुणकारविक्रम एक एक घटाइ अंतविषै एक घाटि गच्छमात्र घटावना तहां संदृष्टि ऐसी ܝܐ 1 ओ प ४१६- ४ १ ख स २ ܐܩܐ मध्यपखंड ओ । प ।४१६–४ a ख ख उभयविशेष १ 1 1 व १२० = १६-४ १. ख ओ १४१६-४ 9 ख ०००० B For Private & Personal Use Only ख २ www.jainelibrary.org
SR No.001606
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1980
Total Pages744
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Karma, & Samyaktva
File Size15 MB
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