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________________ अल्पबहत्व निर्देश ३२९ स० चं०-तातें चढनेवाले के तीसिय चतुष्कका पहलै स्थितिबन्ध विशेष अधिक है सो भी पल्यके असंख्यातवे भागमात्र है तातें चढनेवालेके मोहका तहाँ चालीसिय स्थितिबंध है सो ताहीका त्रिभागमात्र विशेषकरि अधिक है ।।३८७।। ठिदिखंडयं तु चरिमं बंधोसरणट्ठिदी य पल्लद्धं । पल्लं चडपड बादरपढमो चरिमो य ठिदिबंधो' ॥३८८।। स्थितिखंडकं तु चरमं बन्धापसरणस्थिती च पल्याई । पल्यं चटपतद्वादरप्रथमः चरमश्च स्थितिबन्धः ॥३८८।। सं० टी०-ततश्चरमस्थितिबन्धः संख्येयगुणः प स । स च ज्ञानावरणादिकर्मणां सूक्ष्मसाम्पराय ११ चरमसमये मोहस्य चांतरकरणकाले संभवति । ततः पल्योत्पत्तिनिमित्तपल्यसंख्यातभागपर्यन्ताः बन्धापसरणे समुत्पन्ना ये स्थितिबन्धाः पल्यसंख्यातभागप्रमितास्ते सर्वेऽपि संख्यात गुणा प ० ० ० ० ० ० प । पल्या र्थात्पल्यसंख्यातभागात पल्यं संख्यातगुणं पतत आरोहकानिवृत्तिकरणप्रथमसमय स्थितिबन्धः संख्ययगणः । सोऽपि सागरोपमलक्षणपृथक्त्वमात्रः । ततोऽवतारकानिवृत्तिकरणचरमसमये स्थितिबन्धः संख्येयगुणः ॥३८८।। स० चं०-तातें अन्तका स्थितिखंड जो स्थितिकांडकायाम संख्यातगुणा है सो ज्ञानावरणादि कर्मनिका तौ सूक्ष्मसाम्परायका अन्त समयविष अर मोहका अन्तरकरण कालविणे संभवै है, तातै पल्यमात्र स्थितिकी उत्पत्तिके निमित्त पल्यका संख्यातवाँ भाग पर्यन्त स्थितिबन्धापसरणनिकरि उपजे पल्यके संख्यातवे भागप्रमाण स्थितिबन्ध ते सर्व ही क्रम संख्यातगुणे हैं। बहुरि पल्यका संख्यातवाँ भागतै पल्यका प्रमाण संख्यातगुणा है तातें चढनेवालेकै अनिवृत्ति करणका प्रथम समयविष संभवता स्थितिबंध सो संख्यातगुणा है सो पृथक्त्व लक्ष सागर प्रमाण है। तातै उतरनेवालेकै अनिबृत्तिकरणका अंत समयविषै संभवता स्थितिबंध संख्यातगुणा है ॥३८८॥ चडपड अपुव्वपढमो चरिमो ठिदिबंधओ य पडणरस । तच्चरिमं ठिदिसंतं संखेज्जगुणक्कमा अढें ॥३८९।। चटपतदपूर्वप्रथमः चरमस्थितिबंधकश्च पतनस्य । तच्चरमं स्थितिसत्त्वं संख्येयगुणक्रमं अष्ट ॥३८९।। १. चरिमट्ठिदिखंडयं संखेज्जगुणं । जाओ ठिदीओ परिहाइद्गुण पलिदोवमट्ठिदिगो बंधो जादो ताओ ठिदीओ संखेज्जगुणाओ। पलिदोवमं संखेज्जगुणं । अणियटिस्स पढमसमये ठिदिबंधो संखेज्जगुणो । पडिवदमाणगस्स अणियट्टिस्स चरिमसमए ठिदिबंधो संखेज्जगुणो । वही, पृ० १९३६-१९३७ ।। २. अपुव्वकरणस्स पढमसमये ठिदिबंधो संखेज्जगुणो। पडिवदमाणयस्स अपुवकरणस्स चरिमसमए ठिदिबंधो संखेज्जगुणो। पडिवदमाणयस्स अपुवकरणस्स चरिमसमए ठिदिसंतकम्म संखेज्जगुणं । वही, पृ० १९३७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001606
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1980
Total Pages744
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Karma, & Samyaktva
File Size15 MB
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