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________________ नहणसी सुन्दरदास आसकरण लघुभार्या सोहागदे पुत्र सा० जगमालादि पुत्रपौत्रादिश्रयसे ( 4 ) सा० जयमलजी नाम्ना श्रीमहावीरबिम्बं प्रतिष्ठा महोत्सवपूर्व क कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीतपागच्छपक्षे सुविहिताचारकारक शिथिलाचारग[ निवा ]रक साधुक्रियोद्धारकारक श्रीश्राणंदविमलसूरिपट्टप्रभाकर श्रीविजयदानसूरि ( 5 ) पट्टशृंगारहार महाम्लेच्छाधिपतिपातशाहि श्री अकबरप्रतिबोधकतद्दत्तजगद्गुरुविरुदधारक- श्रीशत्रुञ्जयादितीर्थजीजीयादिकरमोचक तद्दत्त षण्मासनमारिप्रवर्तक भट्टारक श्री ६ हीरविजयसूरि - पट्टमुकुटायमान भ० ( 6 ) श्री 6 विजयसेनसूरिपट्टे सम्प्रतिविजयमान राज्य सुविहित शिर:शेखरायमाण भट्टारक श्री 6 विजयदेवसूरीश्वराणामादेशेन महोपाध्याय श्रीविद्यासागरगरिशिष्य पण्डित श्री सहजसागर गरिशिष्य पं० जयसागरगणिना श्र ेयसे कारकस्य No. 42 Jain temple Jalore Fort Inscription श्री मद्रेवतकाभिधे शिखरिणि श्रीसारणाद्रौ च यद्विख्याते भुवि नन्दिवर्धन गरौ सौगन्धिके भूधरे । रम्ये श्रीकलशाचलस्य शिखरे श्रीनाथपादद्वयं भूयात्प्रत्यहमेव देव ! भवतो भक्त्यानतं श्रेयसे ।। No. 43 Jain temple Jalore Fort Inscription (1) संवत् 1683 वर्षे । प्राषाढवदि 4 गुरौ सूत्रधार उद्धरण तत्पुत्र तोडरा ईसर ( 2 ) टाहा दूहा हीराकेन कारापितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे भ० विजयदेवसूरिभिः Jain Education International For Private & Personal Use Only 63 www.jainelibrary.org
SR No.001596
Book TitleJain Inscriptions of Rajasthan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamvallabh Somani
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages350
LanguageEnglish
ClassificationBook_English, Art, & History
File Size17 MB
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