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________________ (9) पुत्र सं० पापमल्ल सं० देपमल्ल । सं० प्रापमल्ल भार्या कमलादे पुत्र सं० पेथा सं० भीमा सं० जेठा सं० पेथा (10) भार्या पूनादे पुत्र सं० पासराज सं० मूधराज पुत्रिका स्याणी। सं० आसराजइ श्री शत्रुज्जय महातीथि(11) श्री संघ सहित यात्रा करी आपणा वित्त सफल कीधा । सं० प्रासराज भार्या चो० सं० पांचा पुत्री गेली (12) जिकइ श्री शत्रुज्जय गिरनार पाबू तीर्थे यात्रा कीधी। श्री शत्रज्जयादि तीर्थावतार पाटी करावी सतोर(13) ण सर्पाकर श्री नेमिनाथनां बिम्ब भरावी श्री संभवनाथनइ देहरइ मंडाव्या । समस्त कल्याणकादि(14) क'तपनी सैलमय करावी। सं० पासराज पुत्र सं० षेता सं० पाता । सं० षेतइ संवत् 15।। श्री शत्रुज्जय गिर(15) नार तीर्थइ श्री संघ सहित यात्रा कीधी। इम वरसइ 2 तीथ यात्रा करता संवत् 1524 तेरमी यात्रा करी श्री शत्रुञ्ज(16) य उपरि छ अरी पालता श्री आदिनाथ प्रमुख तीर्थकरनी पूजा करता छ? तप करी बि लाख नवकार गुणी चतुर्वि(17) ध संघनी भक्ति करी आपणा वित्त सफल कीधा ।। वली चोपडा पांचा पुत्र सं० सिवराज सं०. महिराज सं० लोला सं-- (18) घवी लाषण पत्रिका सं० गेली । सं० लाषण पुत्र सं० सिषरा सं० समरा सं० माला सं० महणा सं० सहणा सं० कुं(19) रां प्रमुख परिवार सहित चो० सं० लाषण संखवाल आसराज पुत्र सं० षेता ए बिहु मिली श्री जेसलमेरु नगरि ग(20) ढ ऊपरि बिभूमिक श्री अष्टापद महातीर्थ प्रासाद कराव्या । सं. 1536 वर्षे फागुण सुदी 3 दिने राउल श्री देवकर्ण राज्ये (21) समस्त देसना संघ मेलवी श्रीजिनचन्द्रसूरि श्री जिनसमुद्रसूरि कन्हलि प्रतिष्ठा करावी श्री कुन्थुनाथ श्री शांतिनाथ मूलना(22) यक थपाव्या । चउवीस तीर्थंकरनी अनेक प्रतिमा भरावी । सं० 48 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001596
Book TitleJain Inscriptions of Rajasthan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamvallabh Somani
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages350
LanguageEnglish
ClassificationBook_English, Art, & History
File Size17 MB
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