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ताव निम्मिउ भडिण विज्जाए,
गयणयलि जलहर - पडलु, वारि-भरेण तं चक्कु ताडइ । जलरासि-मालिय तणु वि, वाडवग्गि जिम्व तेम्व पज्जलइ ।। घण-जल-संगिण निरु जलइ, विरहानलु जिम्व चक्कु । जाणिउ बालेण एहु महु, वट्टइ कज्जु असक्कु ।। २४९४ ।।
ताव नाहिहि गब्भ-संभूउ,
भुवणेसरु संभरिउ, मुक्क-कोव-दावग्गि-दाहेण । झाइज्जइ चित्ति थिउ, चित्त चरिउ जो जोगि-विंदि । मरणकालि जो संभरिउ, भव-भउ हरइ न भंति । भत्ति-भरोणय सुर असुर नर जसु पाय नम॑ति ।। २४९५.
पहु पप्फुल्लप्फुल्ल-सुल लिय-मुहु, वियसिय-निम्मल- नयण- सरोरुहु । सिरि विरइय-मउलंजलि - हत्थउ, पथुणड़ भाव-भरोणय-मत्थउ ।। २४९६।।
जय जिण नाहि-कमल- वर- केसर । जय जय तिहुयण - सिरि- सिर सेहर || सयलकला-कलाव- रयणायर, जय माया-निसि-दलण - दिवायर ।।२४९७।। मोह - रउद्द- निद्द- विद्दारण, जय जय मयण- हरिण पंचाणण । नेह-निलय-मुसुमूरण-मोग्गर, जय जुगाइ-जिण धम्म- धुरंधर || २४९८।। जय जय धवल-धम्म-मणि- रोहण, जय कलि-कलुस - वाहि-सय- सोसण । तक्कराल - करवाल - महाबल, जय जय मण - गइंद - दढ - संकल ॥ २४९९ ।। मोह-महावण दहण-हुयासण, जय जय माण- महाभड - नासण । धवल-विसाल-कित्ति-वर - कुलहर, जय जय रोस- हुयासण-जलहर ।। २५००।। इंदिय-चोर - डमर - निन्नासण, जय जय सिवपुर-पंथ- पयासण । मोक्ख-महापुरि-वारुग्घाडण जय दालिद्द - महादुम- साडण || २५०१ ।। कुमय-भुयंगम गरुड-महायस, जय जय कुमय-करिणि तिक्खंकुस । सयल-सुरासुर-सिरि-चूडामणि, जय जय दुक्ख- रुक्ख-मूलासणि ।।२५०२।।
तिहुयण- घर-पईव - तेउज्जल, जय कप्पद मं- सासय- सुह-फल । आस- महातिस-हरण - महद्दह, जच्च सुवण्ण-वण्ण - वर - विग्गह || २५०३।। निरय- कूव-गय-भुवणुत्तारा, तिहुयण- लग्गण-खंभ भराडा । भुवणुप्पत्ति-लय- ट्ठइ-साहण, जय नर- सुर-सिव - सोक्खह कारण ॥२५०४ ।। सचराचर -जिय- सुह-सय-कारय, जय जय भीम - भवन्नव तारय ।
सिद्धासेस जोग - जोगीसर, जय तेलोक्क-पाल परमेसर ।। २५०५ ।
जुगाइ जिदिafri
वर - लच्छी-कुलहरि नयण- सुहंकरि, अंगुलि-कोमल-ललिय दलि ।
अभुद्धरि भविभवि, महु पहु निम्म वि, भमरत्तण निय- पय-कमलि ॥। २५०६।।
तो सोधम्म-ज्ञान मणु, जोगब्भासेण ठाइ । मुक्काहारो विमुक्क-कलि, वालु महामुणि नाइ ।। २५०७ ।।
एवं सो धम्मज्झाणभावियमणोरहमेगंते ठविऊण रहमज्झट्ठिओ चेव चितिउमाढत्तो- "हंत ! मरणसमए विहडिया चेव सामग्गी लक्खिज्जइ । अहवा रहंतरमेव मे सुद्धभूयले दब्भसंथारो नियविवेओ चेव निज्जामगो । यस एयं चैव संगयं" ति चितिऊण भालयलकयकरयलंजली भावसारं भणिउ माढतो-
रागाइवेरियाणं सव्वण्णूणं नमो अरिहंताणं । कम्मकलंकविमुक्काण पणमिमो सव्वसिद्धाणं ।।२५०८।।
१ नय नियलमु० जे० । २ सुरपुर पा० ।
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