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अजियसेननिवो
तुह कल्लाणविहीणम्मि चेव तह मह मई सया फुरइ । जो मंगुलं तु जंपइ, हासेण वि सो न पडिहाइ ॥ ७३१ किंतु न मुणामि हेडं, इमस्स मइगरुयपक्खवायस्स । मोत्तूण मोहरायस्स विलसियं सव्वजणपयडं ॥ ७३२ ॥ ता तइ असरिसगुरुपक्खवायजोगेण जं सुयं वयणं । पासे सुहम्ममुणिणो, तेणुत्तम्मइ व मे हिययं ॥ ७३३ ॥ अत्थि अरिंजयदेसे, सामी विउलाभिहाणनयरस्स । नामेणं जयधम्मो, अप्पडिहयसासणो राया ॥ ७३४ ॥ जाया जयसिरिभज्जाइ तस्स धूया ससिप्पहा नाम । मयतरललोयणा वि हु, जा नेय विसंठुलं भमइ ।। ७३५ ॥ तरुणजणहिययसायरससहरमुत्तीकलंकिया न उणो । तं किर जो परिणेही, सो चक्की होहिही विजए ।। ७३६ ॥ तस्सेव सयासाओ, तुज्झ वहो तेण तस्स पडियारो । जो कोइ होइ जुत्तो, तं चिंतसु खयरनरनाह ! ॥ ७३७ ॥ इय निसुणिऊण दारुणवयणं हिययम्मि गाढसंखुद्धो । सज्झसवसपसरियसेयबिंदुसंदोहदंतुरिओ ॥ ७३८ ॥ धरणिद्धयखयरिंदो वि पयइगंभीरयाइ पयडिंतो । इंदं पिव अप्पाणं, काऊणायारसंवरणं ॥ ७३९ ॥ देस जई भणइ तयं, गुणवच्छल ! मा मणं पि मणखेयं । एत्थत्थे कुणसु तुमं, कस्स वि जोग्गो न जेणा हं ॥ ७४० भुवणत्तए वि समरंगणम्मि मह नत्थि कोइ पडिमल्लो। तह देवयाओ रक्खंकरीओ मह संति बहुयाओ ॥ ७४१ इय भणिऊणं ओणयसिरेण खयराहिवेण विणयाओ । अणुमन्निओ गओ निययमेस ठाणं पहट्ठमणो ।। ७४२ धरणिद्धयखयरवई वि निययचित्तम्मि निच्छिउं कज्जं । तं दिवसं गमिऊणं, बीयदिणे सेन्नसंजुत्तो ॥ ७४३ ।। रणिरमणिकिंकिणीजालकलियनाणाविमाणपिहियनहो । जयधम्मरायनयरं, रुंधइ संजणियपुरखोहो ॥ ७४४ ।। उद्धवनामं दूयं, संपेसइ तयणु दूयपयकुसलं । पयडिय नियाभिसंधी, जयधम्मनिवस्स पासम्मि ।। ७४५ ।। गंतूण य भणइ इमो, खेयरचक्की तुम भणावेइ । जह अत्थि तुज्झ कन्ना, ससिप्पहा नाम विक्खाया ॥ ७४६ ॥ सा य किर विमललायन्नरूवसोहग्गविजियतइलोक्का । दिण्णा तुमए देसियनरस्स निसुयं मए एवं ॥ ७४७ ॥ एयं च न जुत्तं चिय, तुह सरयससंकनिम्मलजसस्स । नियकुलगयणयलदिवायरस्स काउं अइविरुद्धं ॥ ७४८ ॥ एयम्मि कीरमाणे, जम्हा तुह होहिई गुरुअकित्ती । पुहईयले समग्गे वि रायचक्कस्स मज्झम्मि ॥ ७४९ ॥ गिहजामाउयकरणम्मि जइ वि धूयाइ नेहओ बुद्धी । दीसइ केसिंचि तहावि ते वि जाइं परिक्खंति ॥ ७५० ।। अपरिक्खियजाइ-कुलस्स जं तु कण्णाइ वियरणं लोए । तं गरुयं चिय मन्ने, कलंकठाणं सुपुरिसाण ॥ ७५१ ॥ ता अज्ज वि पुव्वकयाई संति ताई पि तुज्झ पुन्नाई । अन्ना य जाइएणं, जेहिं न कन्ना तुहुव्बूढा ॥ ७५२ ॥ न हि जोग्गा हंसवहू बयस्स न य कोइला वि कायस्स । न य कंठीरवरमणी होइ सियालस्स कइयावि ।। ७५३ एवं तुज्झ वि धूया, कप्पडियविदेसियस्स न हु उचिया । एसा ता अम्हं चिय, दिज्जउ अणुरूवसंबंधा ॥ ७५४ जइ देसि न देसि च्चिय, तह वि इमा होहिई मह च्चेव । ता भो अतिही रुयओ हसओ वि हु सो वरं हसओ ॥ ७५५ इय निसुणिऊण वयणं, दूयस्स नराहिवो भणइ एवं । बुद्धिजुओ वि पहू तुह, लोयायारम्मि नो कुसलो ॥ ७५६ न हु अण्णस्स विइण्णा, कण्णा अवरस्स दिज्जइ कयावि । सुकुलुग्गयनारीणं, एक्को च्चिय होइ जेण पई ॥ ७५७ कुलजो व अकुलजो वा, ता होउ इमो मह उ जा दिण्णा । निययसुया किर एयस्स सा अदिन्ना न होइ त्ति ॥ ७५८
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