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सिरिचंदप्पहजिणचरियं
चुल्लहिमवन्तगिरिवत्तिसुरवरं साहई तओ गंतुं । तत्थ य बावत्तरि जोयणाई उड्ढे सरं मोत्तुं ।। १९६२ ।। कूडम्मि उसभनामे नियनाम लिहइ हरिसिओ संतो । तत्तो सुसेणसेणावई च पेसेइ साहेडं ॥ १९६३ ।। सिंधुनइनिक्खुडं उत्तरिल्लयं जाइ सयमवि स गंगं । गंगादेविं तहियं, साहइ नियपुन्नविरिएणं ॥ १९६४ ।। वरिससहस्सं तीए सद्धिं भोगे य भुंजइ विसिढे । वेयड्ढे नमिविनमीण साहणट्ठा तओ जाइ ॥ १९६५ ।। तेहिं य सह संगामो, रणरहसुल्लसियबहलपुलएहिं । सो जाओ जणइ निसामिओ वि जो भीरुसंखोभं ॥ १९६६ ।। तहा हि - तुरया तुरयाण रहा रहाण हत्थीण हत्थिणो तह य । अभिट्ठा समकालं, पाइक्काणं च पाइक्का ।। १९६७ ।। विज्जाबलगव्वियखयरखित्ते गुरूपव्वयम्मि कोइ भडो । मोग्गरमुसुंढिघाएहिं चुन्नए निययविरिएण ।। १९६८ ।। उम्मूलिऊण रुक्खं, धावइ जा को वि कस्स वि वहत्थं । अग्गेयबाणखिवणेण ताव तं जालई अन्नो ।। १९६९ ।। अग्गेयसत्थनियरं, रिउदाहकएण मुयइ जा कोइ । अवरो वारुणसत्थेहिं हरइ ता तस्स माहप्पं ।। १९७० ।। उरगऽत्थेणं च परो, जा इयरं नागपासबंधेहिं । बंधइ तो से वि हु गारुडसत्थेण तं हणइ ।। १९७१ ।। इय अवरोप्परनियसत्तिनिहयसुसमत्थसत्थमाहप्पा । जुज्झंति सुहडसंघा नियनियपहुकज्जमिणो ॥ १९७२ ॥ अन्नं च - जुज्झताणं ताणं, विज्जाहरचक्कवट्टिसेण्णाणं । दोण्ह वि जुद्धं जायं, जारिसयं सुणसु तं इन्हिं ।। १९७३ ॥ कत्थइ परोप्परं तिक्खखग्गपहरणछणच्छणब्भिडणा । उठेंतसिहिसिहाजालभरियगयणंगणाभोगं ॥ १९७४ ।। कत्थइ मारिय नरमंसलुद्धगिद्धोहपक्खपवणेण । आसासियमुच्छावसविसंतुलुटुंतभडनिवहं ।। १९७५ ॥ कत्थइ करिवरदसणग्गभिन्नसुहडोहवच्छबीभच्छं । कत्थइ पयंडकोदंडमुक्कबाणोघपिहियनहं ।। १९७६ ।। कत्थइ धणुगुणटंकारसद्दभरिएसु सयलकुहरेसु । पडिसद्दावूरियभुवणगब्भसंभंतजणनिवहं ।। १९७७ ।। कत्थ वि दीसंतपडतसेल्लवावल्लभल्लझसमूलं । पहरणपहारपरिहरियपाणपडमाणपाणिगणं ।। १९७८ ।। कत्थ वि नररुहिरासायतुट्ठकिलिकिलियघोरवेयालं । वेयालमुक्कफेक्कारभीसणं कत्थ वि पएसे ।। १९७९ ।। कत्थ वि पढंतबंदियणबहलवित्थरियजयजयरवेण । पूरिज्जमाणनीसेसदिसदिसाविवरनिउरबं ॥ १९८० ।। (कुलयं) अवि य - मयमत्तमहामयगलजलहरगलगज्जिमुहलियदियंतो । सुहडसयमुक्कसरनियरनिबिडनिवडंतजलधारो ।। १९८१ ।। वरतुरयखरखुरुक्खयरयदुद्दिणरुद्धसूरकरपसरो । दीसंतफुरंतविकोसखग्गविज्जुच्छडाडोवो ॥ १९८२ ।। अवरोप्परहक्कारंतसुहडहक्कासिहंडिरवमुहलो । सज्जीकयबहुविहपंचवन्नरेहंतवणुनियरो ।। १९८३ ।। घणमंडलग्गधारा निवायफुटुंतसोणियारत्त, नरसिरकंदलमंडियमहीओ। रणपाउससरंभो, संभूओ चक्किखयराण ।। १९८४ । उग्गाहो (कुलयं) आयण्णायड्ढियधणुविमुक्कबाणाण सणसणारावो । जत्थामिसत्थिनिवडंतपक्खिपक्खाण व विहाइ ।। १९८५ ।।
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