SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुभासियगाहासंगहाणुक्कमो अंधारिऊण वयणं १४ अश्वासन्ने परिमलई २४ मच्छर तावन्नजणो ३१ अणमिसनयणार मए १०१ अणवरयसलिलनिवडत - ८६ अहंता वि हु हुंतीए ११ अणुयत्तह भणह पियं ९३ अणुरायनिभरपि हु ५३ अ (थ) के भणियं सोहइ १२६ असाणं चिय दुहरे ४२ अस्थवर्ण पहरपरव्वसाण ७२ केत्तियमित्तं च घरा ३८ खंडिज्जतो वि ससी ७४ गणगणपरिसक्कण- ७५ गरुयत्तणस्स को मामि ५ गरुयाई चिय साह ९९ गरुयाणं गरुय चिचय ४८ गुणजाणए श्चिय जणे १२८ गुणिणो विहवारूढाण ६८ छिउजट सोसं, भद्द होउ २९ जं उप्पलस्स पत्ते ९२ जंपतो अविद्वत्तविग्गहो ( ! ) १०४ जंपसि मुणालसरिसं हियए १२२ अपसि (सु) मुणालसरिसं जं ९४ जं सत्थेसु न सुव्वइ ११८ जइ मंडळेण भसियं ४५ जइ सा लायन्ननिही ५८ जत्थगओ तत्थगभो १२४ 1 अद्दंसणेण पिययम ! ५४ अन्नविय सा जई ७६ अपरिविखयकयकज्जं ३६ अभत्थिओ वि सयवत्त - १७ भयसाभियोग संतावियस्स ९० अवणिज्जइ हारो कामिणीहि १२ अविरयश्य केलिपसंग - ८१ अव्वो! न जामि खेते ६५ उars oई नियई (?) ४७ जत्थ सरे मज्जिज्जइ ६४ जम्मि तुम अइनेहा १२३ जलहिविसंघडिएण वि ११२ जह बरहिणस्स छज्जइ ७९ उज्झति धणं, छति ३० उहाई नीससंतो १०५ उप्पयइ गयणमग्गे ८० उवभुंजिउ न सकइ २३ उवयारो कीरइ खलयणस्स ४३ जह मायंगा संगहसि ८७ जह मूसयस्स एक्केण १२७ जह हंसो माणससर - ७८ जाईसराई मन्ने ५२ जाओ सि कीस दुग्गय ४१ एक्केण वि तीरतडट्ठिएण ७७ एसो बोलेर सही ६० कंकेल्लिपल्लवुवेल - ६९ कज्जम्मि समावडिए ९५ कलियामिसेण उन्मेवि २ जाहँ न अस्थी गुज्झिरसु १२० जेण विणा न दलिज्जइ ९.६ ओ जत्तियस्स अत्थस्स २२ जो रुचइ सो लोनिया (य) ११९ जो विसमम्मि वि कज्जे १०७ ठाणं गुणेहि लब्भइ ११३ ठाणेसु गुणा पयडा २५ तं किंपि कयं रइसंगमम्मि ८४ कसिणोज्जलो विरायइ ७० कह तम्मि निव्वविजइ ७१ कह रक्खेउ वराई ६६ कोरति जाई जोव्वणवसेण ३३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001584
Book TitleGaharayankosa
Original Sutra AuthorJineshwarsuri
AuthorAmrutlal Bhojak, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages122
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Sermon
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy