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________________ संपादकीय निवेदन एस. एन. डी. टी. युनिवर्सिटी (मुंबई) मांथी इ. स. १९७० मां मने गुजराती विभागमांथी पीएच. डी. नी पदवी प्राप्त थई. पीएच. डी माटे में जूनी गुजरातीमां लखायेल कवि जयवंतसूरिनी " ऋषिदत्ता रास" नामनी हस्तप्रत पसंद करेल. कवि जयवंतसूरि मध्यकालीन गुजराती साहित्यमा अगत्यना कवि थइ गयां छे अने एमणे नानी मोटी अनेक कृतिओ रची छे " ऋषिदत्ता रास" मां कविए एक सतीनुं जीवनचरित्र आलेख्य छे अने में आ रासनु संपादन कर्युं छे. आ संपादन कार्यमा मने घणी व्यक्तिओ तेम ज संस्थानी किंमती मदद मळी छे. हस्तप्रतोने माटे मारे अमदावादना ला. द. भा. संस्कृति विद्यामंदिरना संचालकोनो, देवसानापाडाना उपाश्रयमां आवेला भंडारना व्यवस्थापकनो, श्री गोडीजीना उपाश्रय ( मुंबई ) ना भंडारना व्यवस्थापकनो अने महावीर जैन विद्यालयना संचालकनो आभार मानवानो छे. इस्तप्रतोना वाचनमा अत्यन्त मदद रूप बननार पंडित श्री अंबालाल प्रेमचंद शाहनो तथा संस्कृत हस्तप्रतना वाचन अने अनुवाद माटे स्व. मुनिश्री पुण्यविजयजीनो मारे अत्यंत आभार मानवो घटे में तैयार करेल शब्दकोष काळजीपूर्वक जोइ जई केंटलांक उपकोगी सूचनो अने सुधारा करी आपवा बदल हुं वयोवृद्ध पंडित श्री बेचरदास दोशीनी ऋणी छु. गुजरात युनिवर्सिटी, गुजरात विद्यापीठ, फार्बस गुजराती सभा ( मुंबई )नां पुस्तकालयोनो में कचारेक उपयोग कर्यो छे अने ते संस्थाओनी हुं आभारी छु अते आ पुस्तकना प्रुफ वांचीने सुधारी आपवामां मदद करनार पं० श्री बाबुभाई तेम ज आखाये पुस्तकने झीणवटथी तपासी जनार ला. द. विद्यामंदिरना नियामक श्री मालवणियासाहेबनुं ऋण स्वीकार्या विना केम ज चाले ? आ रासना संशोधनकार्यमा मने प्रोत्साहन आपी संशोधननी आंटी घुटीथी पूरती माहितगार करीने मारुं कार्य झपाटबंध पूरुं कराववामां मददरूप थनार डॉ. श्रीमती अनसूयाबहेन त्रिविदी तथा भूपेन्द्रभाई त्रिवदीनो हुं अत्यंत आभार मानुं छु बदल भारत सरकारनो पण आ पुस्तकना प्रकाशन माटे मोटी रकमनी सहाय आपवा अंतःकरणपूर्वक आभार मानुं बुं. निपुणा अ. दलाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001581
Book TitleRushidattras
Original Sutra AuthorJayvantasuri
AuthorNipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size11 MB
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